नई दिल्ली, मार्च 20 -- दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पत्नियों, बच्चों और माता-पिता के भरण-पोषण से संबंधित कानून का उद्देश्य उन्हें सुरक्षा प्रदान करना और पति-पत्नी के बीच समानता को बढ़ावा देना है, न कि 'आलस्य' को बढ़ावा देना। हाईकोर्ट ने कहा कि क्वालिफाइड पत्नियां, जो कमाने की क्षमता रखती हैं, लेकिन कोई काम नहीं करना चाहती तो उन्हें अंतरिम भरण-पोषण के लिए दावा नहीं करना चाहिए। जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने बुधवार को एक आदेश में कहा, 'सीआरपीसी की धारा 125 (पत्नी, बच्चों और माता-पिता के भरण-पोषण का आदेश) में पति-पत्नी के बीच समानता बनाए रखने, पत्नी, बच्चों और माता-पिता को सुरक्षा प्रदान करने और आलस्य को बढ़ावा न देने का विधायी इरादा है।' अदालत ने यह आदेश एक महिला की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया, जिसमें उसने अपने पति से अलग हो जाने के बाद ...