नयी दिल्ली , अक्टूबर 16 -- भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा गुरुवार को यहां आयोजित नियामकों की संयुक्त समिति (जेसीओआर) की 9वीं बैठक में 1600 नंबर सीरीज को चरणबद्ध तरीके से लागू करने पर सहमति बनी।
नियामकों की संयुक्त समिति का उद्देश्य आम ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाने के उपाय खोजना है। इस बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड, पेंशन निधि नियामक और विकास प्राधिकरण, और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ-साथ दूरसंचार विभाग, गृह मंत्रालय, उपभोक्ता कार्य मंत्रालय और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के अधिकारी भी शामिल हुए।
समिति ने बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं एवं बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्रों के 1600 नंबर सीरीज योजना में स्थानांतरण के लिए एक चरणबद्ध समय-सीमा पर सहमति व्यक्त की। क्षेत्रीय नियामकों ने सहमत समय-सीमाओं के प्रति अपने समर्थन का आश्वासन दिया। इस व्यवस्था में छोटे वित्तीय/व्यावसायिक संस्थाओं के साथ भेदभाव पर भी चर्चा हुई और ट्राई ने स्पष्ट किया कि वह इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करेगा।
समिति ने प्रोमोशनल कॉल के लिए डिजिटल सहमति प्राप्ति की पायलट परियोजना को फरवरी 2026 तक चरणबद्ध तरीके से पूरा करने पर भी सहमति व्यक्त की। जिसे 11 (ग्यारह) नामित बैंकों में कार्यान्वित किया जा रहा है, और ट्राई और आरबीआई द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जा रहा है। पायलट परियोजना संतोषजनक ढंग से आगे बढ़ रही है और फरवरी 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है।
सदस्यों ने वाणिज्यिक संचार में प्रयुक्त सभी यूआरएल, ओटीटी लिंक, एपीके और कॉलबैक नंबरों को अनिवार्य रूप से श्वेतसूची में शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। ट्राई ने सदस्यों को इन संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के अपने अभियान से अवगत कराया, जिसके लिए स्वीकृत एसएमएस टेम्प्लेट में इन लिंक्स को टैग किया जाएगा, और कहा कि इसके लिए अन्य सदस्यों के गहन समर्थन की आवश्यकता है। सदस्यों ने इस प्रयास के लिए अपने पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।
समिति ने इस बात पर चर्चा की कि ट्राई और दूरसंचार सेवा प्रदाता (टीएसपी) अपनी-अपनी वेबसाइटों पर स्पैमिंग गतिविधियों के लिए काली सूची में डाली गई संस्थाओं की जानकारी प्रकाशित करने पर विचार कर सकते हैं। यह गलत गतिविधियों में लिप्त संस्थाओं के लिए एक अतिरिक्त निवारक के रूप में कार्य करेगा।
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