नयी दिल्ली , अक्टूबर 08 -- केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने राष्ट्रीय श्रम एवं रोजगार नीति - श्रम शक्ति नीति 2025 का मसौदा सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया है जिस पर सभी हितधारक, संस्थान और आम जनता 27 अक्टूबर तक अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

मंत्रालय के अनुसार यह मसौदा नीति, विकसित भारत 2047 की राष्ट्रीय आकांक्षा के अनुरूप एक निष्पक्ष समावेशी और विश्व के लिए भविष्योन्मुख कार्य के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।

यह नीति सर्व धर्म-कार्य की गरिमा और नैतिक मूल्य की भारतीय सभ्यता की भावना पर आधारित है और एक ऐसी श्रम संस्कृति की परिकल्पना करती है जो प्रत्येक श्रमिक के लिए सुरक्षा, उत्पादकता और भागीदारी सुनिश्चित करे। इस नीति का उद्देश्य एक ऐसा संतुलित ढांचा तैयार करना है जो श्रमिकों के हितों को बढ़ावा देने के साथ उद्यमों के विकास और स्थायी रोजगार सृजन के लिए सक्षम बनाये।

श्रम शक्ति नीति 2025, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (एमओएलई) को एक सक्रिय रोजगार सुविधा प्रदाता तौर पर स्थापित करने के साथ विश्वसनीय, प्रौद्योगिकी-आधारित प्रणालियों के माध्यम से श्रमिकों, नियोक्ताओं और प्रशिक्षण संस्थानों के बीच समन्वय को बढ़ावा देगी। राष्ट्रीय करियर सेवा (एनसीएस) प्लेटफॉर्म, रोजगार के लिए भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के रूप में कार्य करेगा, जहां सभी को कौशल के आधार पर पारदर्शी और समावेशी रोजगार का अवसर सुलभ होगा।

मंत्रालय की तरफ से प्राप्त आधिकारिक जानकारी के अनुसार यह नीति सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य, महिला एवं युवा सशक्तिकरण तथा हरित एवं प्रौद्योगिकी-सक्षम रोजगार सृजन पर भी जोर देती है। इसका उद्देश्य लचीला और निरंतर कुशल कार्यबल का निर्माण करना है जो उभरती प्रौद्योगिकियों, जलवायु परिवर्तनों और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं की मांगों को पूरा करने में सक्षम हो। ईपीएफओ, ईएसआईसी, ई-श्रम और एनसीएस जैसे प्रमुख श्रमिक बलों के राष्ट्रीय आंकड़ों को एकीकृत करते हुए यह नीति एक समावेशी और अंतर-संचालनीय डिजिटल संस्कृति की कल्पना करती है जो आजीवन शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा और आय सुरक्षा का समर्थन करता है।

यह मसौदा नीति व्यापक हितधारक परामर्शों को प्रतिबिंबित करता है और सहकारी संघवाद, साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण और डिजिटल पारदर्शिता पर ज़ोर देता है। यह केंद्र, राज्यों, उद्योग और सामाजिक भागीदारों के बीच समन्वित कार्रवाई के लिए एक दीर्घकालिक ढांचा प्रदान करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विकास के लाभ व्यापक और समान रूप से साझा किए जाएं।

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