दरभंगा, सितम्बर 27 -- बिहार के प्रतिष्ठित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर मैथिली विभाग में 'मैथिली शोध एवं लेखन क्षमता' विषय पर विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दमन कुमार झा की अध्यक्षता में व्याख्यान का आयोजन हुआ।
व्याख्यान के मुख्य वक्ता ललित नारायण जनता महाविद्यालय के प्रो. नारायण झा ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी विषय पर प्रभावी ढंग से लिखने के लिए उसके चार आधार होते हैं, फैक्ट (तथ्य), एनालिसिस (विश्लेषण), क्रिटिशिज्म (समीक्षा) और कंपोनेंट चार्ट (घटक चार्ट)। उन्होंने शोधार्थियों और विद्यार्थियों से तथ्यात्मक रूप से लेखन करने का आह्वान किया। उनके अनुसार, लेखन क्षमता तभी मजबूत हो सकती है जब इन चारों घटकों को शामिल किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि अब लेखन में पहले की तरह भूमिका (इंट्रोडक्शन) को बहुत लंबा खींचना आवश्यक नहीं है, बल्कि टू द पॉइंट बात कहनी चाहिए। किसी भी आलेख में कम शब्दों में अपनी पूरी बात कहने की क्षमता होनी चाहिए।
प्रो। झा ने इसी क्रम में विद्यापति, प्रो. हरिमोहन झा, राजकमल चौधरी सहित कई प्रमुख मैथिली साहित्यकारों के साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनकी रचनाओं एवं लेखन क्षमता पर समीक्षात्मक रूप से अपनी बात रखी।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रो. दमन कुमार झा ने कहा कि लेखन विषय संदर्भित होनी चाहिए। पारंपरिक लेखन से हटकर नए दृष्टिकोण से लेखन करने पर बल देना जरूरी है। शोध लेखन से धीरे-धीरे लेखन क्षमता एवं विषय संदर्भित ज्ञान का विकास होता है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुनीता कुमारी ने किया, वहीं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अभिलाषा कुमारी के द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में विभाग के शोधार्थी और छात्र- छात्राएं उपस्थित थे।
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