गढ़चिरौली , अक्टूबर 15 -- केन्द्र सरकार के ''नक्सल मुक्त भारत'' अभियान के तहत पिछले दो दिनों में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में कुल 139 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया।

गढ़चिरौली में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) पोलित ब्यूरो के वरिष्ठ सदस्य मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ भूपति ने बुधवार को अपने 60 साथियों के साथ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने आत्मसमर्पण किया। गढ़चिरौली पुलिस मुख्यालय में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में उसने आत्मसमर्पण किया।

छह करोड़ रुपये के इनामी भूपति ने 60 कार्यकर्ताओं के साथ आत्मसमर्पण किया और सात एके-47 और नौ इंसास राइफलों सहित 54 हथियार सौंपे।

अधिकारियों के अनुसार भूपति महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर सशस्त्र अभियानों की देखरेख कर रहे थे और माओवादी सैन्य रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

इस अवसर पर बोलते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यह सामूहिक आत्मसमर्पण वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत है और उन्होंने सरकार के "नक्सल-मुक्त भारत" के लक्ष्य पर ज़ोर दिया।

उन्होंने कहा, "लाल गलियारा तेज़ी से सिकुड़ रहा है। गढ़चिरौली अब लगभग तीन लाख करोड़ रुपये के बड़े निवेश और विशेष रूप से आगामी स्टील हब के माध्यम से एक लाख से अधिक स्थानीय रोज़गार सृजित करने की योजना के साथ परिवर्तन की राह पर है।"श्री फडणवीस ने आत्मसमर्पण करने वाले कार्यकर्ताओं के लिए पूर्ण पुनर्वास सहायता का भी आश्वासन दिया और शेष नक्सलियों से हथियार डालने का आग्रह किया।

छत्तीसगढ़ में आज कांकेर और सुकमा ज़िलों में अलग-अलग घटनाओं में 78 माओवादी कार्यकर्ताओं के आत्मसमर्पण की सूचना मिली।

कांकेर में 32 महिलाओं और दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति के राजमन मंडावी और राजू सलाम जैसे प्रमुख क्षेत्रीय नेताओं सहित 50 कार्यकर्ताओं ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया। समूह ने हथियारों का एक ज़खीरा जमा किया, जिसमें सात एके-47 राइफलें और एक इंसास लाइट मशीन गन (एलएमजी) शामिल थी।

इसके अलावा सुकमा में 27 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें 16 पर कुल 50 लाख रुपये का इनाम था। इनमें पीएलजीए बटालियन नंबर एक का सदस्य ओयम लखमू भी शामिल था, जिस पर 10 लाख रुपये का इनाम था।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आत्मसमर्पण की इस लहर को इस बात का प्रमाण बताया कि नक्सलवाद अपने अंतिम चरण में है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस घटनाक्रम का स्वागत करते हुए इसे वामपंथी उग्रवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के अपने अभियान में एक बड़ी सफलता बताया।

मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या छह से घटकर तीन रह गई है जो सभी छत्तीसगढ़ में बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर है। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की व्यापक सूची भी 18 से घटकर 11 हो गई है जो छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा में फैले हुए हैं।

अधिकारियों ने बताया कि 2025 में अब तक 312 माओवादी कार्यकर्ताओं का सफाया किया जा चुका है, जिनमें भाकपा (माओवादी) महासचिव और पोलित ब्यूरो या केंद्रीय समिति के आठ वरिष्ठ सदस्य शामिल हैं। इसके अलावा इसी वर्ष 1,639 कार्यकर्ताओं ने आत्मसमर्पण किया है।

केंद्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "नक्सल-मुक्त भारत" के दृष्टिकोण के अनुरूप, 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह से समाप्त करने के अपने संकल्प की पुनः पुष्टि की है।

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