नयी दिल्ली , नवम्बर 06 -- नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने समुद्री क्षेत्र में भू-राजनीति, प्रौद्योगिकी और रणनीति संबंधी बड़े बदलावों का उल्लेख करते हुए कहा है कि समुद्र में प्रभुत्व , संसाधनों और संपर्क के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा लगातार बढ़ रही है।

नौसेना प्रमुख तीसरे स्वदेशी जल सर्वेक्षण पोत आईएनएस इक्षक के गुरुवार को कोच्चि स्थित नौसेना बेस में नौसेना के बेड़े में शामिल होने के अवसर पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे। यह महिलाओं के लिए विशेष आवास के साथ डिज़ाइन किया गया पहला जल सर्वेक्षण पोत है।

एडमिरल त्रिपाठी ने कहा,"नई प्रौद्योगिकी का उदय, महत्वपूर्ण खनिजों पर प्रतिस्पर्धा और समुद्री व्यापार के विकसित होते पैटर्न महासागरों के रणनीतिक मानचित्र को नया रूप दे रहे हैं। आज, हमारे आस-पास का समुद्री क्षेत्र तेज़ी से बदलते ज्वार और उबड़-खाबड़ समुद्रों से परिभाषित हो रहा है, जिसके लिए स्थिरता, दृढ़ संकल्प और शक्ति की आवश्यकता है।"नौसेना प्रमुख ने भारतीय नौसेना को शक्ति और स्थिरता का प्रतीक बताया और कहा कि नौसेना संचालन क्षमताओं को बढ़ाने के साथ साथ अपनी पहुंच का विस्तार कर रही है और समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोगात्मक पहलों को आगे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना पूरे क्षेत्र में स्वतंत्र, खुले तथा समावेशी वैश्विक साझा हितों को आकार देने और सबसे पहले मदद का हाथ बढाने वाले पसंदीदा सुरक्षा भागीदार के रूप में भारत की भूमिका को रेखांकित कर रही है।

समुद्री डेटा के महत्व का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण खनिजों पर ध्यान केन्द्रीत करने और जलवायु परिवर्तन से ज़मीन तथा समुद्र दोनों जगह पर गतिविधियों को प्रभावित करने के साथ साथ सटीक जल सर्वेक्षण डेटा उपयोगिता से बढ़कर एक रणनीतिक आवश्यकता बन गया है।

नौसेना प्रमुख ने कहा कि सर्वेक्षण जहाज़ पूरे क्षेत्र और उसके बाहर सुरक्षा, संपर्क और समुद्री सहयोग को बढ़ावा देते हैं। ये अज्ञात आंकड़ों का मानचित्रण करते हैं ताकि अन्य लोग आत्मविश्वास और स्पष्टता के साथ नौवहन कर सकें। उन्होंने इक्षक से पहले भारतीय नौसेना में शामिल किए गए दो सर्वेक्षण जहाजों, संध्याक और निर्देशक, की भूमिका के बारे में भी बात की।

उन्होंने कहा, 'अत्याधुनिक जल सर्वेक्षण प्रणालियों, उन्नत महासागर-मानचित्रण उपकरणों और विशिष्ट उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला से सुसज्जित ये पोत न केवल नौसेना के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र और उसके बाहर हमारे समुद्री साझेदारों के लिए भी पसंदीदा सर्वेक्षण प्लेटफार्म है।'नौसेना प्रमुख ने कहा कि पिछले एक वर्ष में ही हमारे सर्वेक्षण पोतों ने मॉरीशस से लेकर वियतनाम तक जल सर्वेक्षण सहायता प्रदान की है जो पूरे क्षेत्र में साझा समुद्री विकास और समृद्धि के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना पूरी तरह से खरीदारी करने वाली नौसेना से विनिर्माण करने वाली नौसेना में परिवर्तित हो गई है। प्रत्येक पोत के कमीशन होने के साथ हम आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण को मजबूत कर रहे हैं। इन जलपोतों में 80 प्रतिशत स्वदेशी कल पुर्जो के इस्तेमाल से भारतीय नौसेना की आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता का का पता चलता है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित