हैदराबाद , नवंबर 20 -- राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) द्वारा आयोजित दो दिवसीय पृथ्वी सम्मेलन 2025 का पहला आयोजन गुरुवार को यहां माधापुर के हाइटेक्स एग्जीबिशन सेंटर में शुरू हुआ। इसका मुख्य ध्यान 'वैश्विक परिवर्तन के लिये ग्रामीण नवाचार को मज़बूत बनाना' है।
उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए तेलंगाना के उप मुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क मल्लू ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि यह राष्ट्रीय पहल हैदराबाद में शुरू की जा रही है। तेलंगाना इस बात का जीता-जागता सबूत है कि जब नवाचार और इरादा साथ देते हैं तो गांवों में बदलाव मुमकिन है।
उन्होंने राज्य सरकार के किसान-केंद्रित कदमों के बारे में बताया, जिसमें देश की सबसे बड़ी लगभग 20,000-21,000 करोड़ रुपये की कर्ज माफी, 12,000 रुपये प्रति एकड़ सालाना की रायथु भरोसा आय सहायता योजना, स्व-सहायता समूह के ज़रिए धान की खरीद और तुरंत भुगतान और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 500 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस शामिल है।
उन्होंने सिंचाई, डिजिटल फसल रिकॉर्ड, कटाई के बाद की गतिविधियां और लगभग हर ग्राम पंचायत को जोड़ने वाले 43,000 किलोमीटर के डिजिटल आधारभूत ढांचे में निवेश के साथ-साथ नवीकरणीय ऊर्जा और महिलाओं के नेतृत्व वाली सौर उद्यमिता पर ज़ोर दिया।
श्री मल्लू ने कहा कि खेती सिर्फ़ एक आर्थिक क्षेत्र ही नहीं है, बल्कि भारत की आत्मा है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड जैसे संस्थान इस नींव को बचाने और मज़बूत करने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने लोगों से दया, हिम्मत और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की अपील करते हुए कहा कि भारत के सबसे अच्छे दिन आने वाले हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में मौजूदा सरकार इस महीने के आखिर में दो साल पूरे कर लेगी। सरकार आठ और नौ दिसंबर को सरकार 'फ्यूचर सिटी' में एक सम्मेलन आयोजित करेगी, जो तेलंगाना के विकास के लक्ष्यों को हासिल करने का दूरदर्शी परियोजना है। उन्होंने लोगों से इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने की अपील की, जिसमें राज्य की तरक्की और उम्मीदों की पूरी तस्वीर दिखाई जाएगी।
नाबार्ड के अध्यक्ष के वी शाजी ने कहा कि इस सम्मेलन का मकसद ग्रामीण भारत में समस्या निदान, नवाचार और संस्थान स्थापित करने के लिए एक राष्ट्रीय मंच बनाना है। उन्होंने गांवों को 'विकास का इंजन' बनाने पर जोर देते हुए कहा कि भारत सब्सिडी पर ही आधारित से समाधान-संचालित विकास की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने ग्रामीण डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक पर नाबार्ड के काम के बारे में बताया और कहा कि इसमें एग्रोनॉमी डीपीआई, जियोस्पेशियल एग्रीकल्चर, डिजिटल क्रेडिट हाईवे, किसान क्रेडिट कार्ड और कोऑपरेटिव का डिजिटाइजेशन, क्लाइमेट-रेसिलिएंट एग्रीकल्चर, और क्रेडिट तक पहुंच को बेहतर बनाते हुए रिस्क और टर्नअराउंड टाइम को कम करने के लिए एक नया 'रूरल फाइनेंस 2.0' आर्किटेक्चर शामिल है।
श्री शाजी ने कहा कि इस सम्मेलन में 75 से ज़्यादा प्रदर्शनियों और लगभग 50 स्टार्ट-अप "मिट्टी से सैटेलाइट तक" नवाचार को दिखाया जायेगा । इसमें डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, जियोस्पेशियल इंटेलिजेंस, क्लाइमेट एक्शन, कोऑपरेटिव, ग्रामीण एंटरप्राइज और एग्री-फिनटेक पर मल्टी-ट्रैक सेशन शामिल हैं।
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