नयी दिल्ली, सितंबर 25 -- उच्चतम न्यायालय ने एक युवक की कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मृत्यु से जुड़े अदालती अवमानना मामले में गुरुवार को सीबीआई और मध्य प्रदेश सरकार को फटकार लगाई।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने मध्य प्रदेश के 24 वर्षीय देवा पारधी की माँ की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से सवाल किया, "अधिकारी (पुलिस) इतने महीनों से ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं और आप चुप हैं।"याचिका में शीर्ष अदालत के 15 मई के आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया गया था, जिसमें मामले को मध्य प्रदेश पुलिस से जाँच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित कर दी गई थी।
पीठ को बुधवार को बताया गया था कि दोनों पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।
शीर्ष अदालत ने यह देखते हुए कि पुलिस अधिकारी अप्रैल से फरार थे, आगे सरकार के वकील से पूछा, "कल निलंबित क्यों किया गया? आप कहते हैं कि वे अप्रैल से फरार हैं। इसका मतलब है कि आप उन्हें बचा रहे हैं। अब यह वास्तव में अवमानना है।"पीठ ने वकील से पूछा, "आप अप्रैल से ही उनकी तलाश कर रहे हैं। आपने उन्हें निलंबित क्यों नहीं किया? इसका क्या मतलब है? आपकी सारी कोशिशें दिखावा हैं।" सीबीआई के वकील ने दलील दी कि वे पुलिस अधिकारियों के वित्तीय लेन-देन का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
पीठ को बताया गया कि पुलिस अधिकारियों के वाहनों पर हाईवे टोल पर नज़र रखी जा रही है।
केंद्रीय एजेंसी सीबीआई के वकील ने कहा कि सोशल मीडिया अकाउंट्स की जाँच की गई है और गिरफ्तारी के लिए नकद इनाम की भी घोषणा की गई है, लेकिन कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला है।
याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि स्थानीय पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की और युवा की मौत की जाँच को प्रभावित किया।
शीर्ष अदालत ने सीबीआई के वकील से पुलिस अधिकारियों की अग्रिम ज़मानत की सुनवाई के बारे में भी पूछा।
पीठ ने कहा, "क्या आपने उस वकील से बात की है जो उसकी ओर से पेश हुआ था? क्या राज्य अग्रिम ज़मानत में शामिल नहीं था? सरकारी वकील ने क्या सलाह दी थी? वे उसे गिरफ्तार कर सकते थे।"अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए शुक्रवार का दिन निर्धारित करते हुए राज्य सरकार तथा गृह सचिव की ओर से पेश हुए वकीलों से जांच मामले में कथित लापरवाही पर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने पारधी की हिरासत में हुई मौत के लिए कथित रूप से ज़िम्मेदार दो पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने में विफल रहने पर सीबीआई की मंगलवार को भी आलोचना की थी।
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