शिमला , नवंबर 05 -- हिमाचल फोरम अगेंस्ट ड्रग एब्यूज (एचएफएडीए) के संयोजक सत्यवान पुंडीर ने बुधवार को कहा कि राज्य में नशाखोरी एक गंभीर सामाजिक बीमारी बनती जा रही है, जो न केवल युवाओं को बल्कि परिवारों और समुदायों को भी प्रभावित कर रही है।
श्री पुंडीर ने आज यहां अपने बयान में कहा कि नशे की लत को केवल एक अपराध नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक बीमारी माना जाना चाहिए जिसके लिए उपचार, करुणा और सामाजिक पुनर्वास की आवश्यकता होती है। नशा कोई पाप या नैतिक विफलता नहीं है, यह एक स्वास्थ्य समस्या है जिसके लिए देखभाल और समझ की आवश्यकता होती है।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि मंच का उद्देश्य नशा करने वालों के बारे में सामाजिक धारणा को बदलना और इस बढ़ती समस्या से लड़ने के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा, "हमें नशेड़ी लोगों को अपराधी नहीं, बल्कि मरीज़ के रूप में देखना चाहिए। हमारा लक्ष्य पीड़ितों को सामान्य जीवन में लौटने में मदद करने के लिए परिवारों, संस्थानों और समुदायों को एक साथ लाना है।"श्री पुंडीर ने कहा कि नशीले पदार्थों का नेटवर्क फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनों की आवश्यकता है, लेकिन नशे की लत से जूझ रहे लोगों पर भी उतना ही ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने नशीली दवाओं के दुरुपयोग से जुड़े कलंक और इनकार को खत्म करने और जागरूकता अभियानों में स्कूलों और कॉलेजों को शामिल करने का भी आह्वान किया है।युवाओं को नशे की लत से बचाने के लिए उन्हें सूचित, निर्देशित और सकारात्मक गतिविधियों में शामिल किया जाना चाहिए।
एचएफएडीए ने नशीली दवाओं के तस्करों के खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम के सख्त क्रियान्वयन का आग्रह किया है और साथ ही पीड़ितों के लिए जागरूकता और पुनर्वास को बढ़ावा देने का भी अनुरोध किया है।
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