शिमला , अक्टूबर 01 -- हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज कहा कि राज्य वरिष्ठ नागरिकों की नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए रोगी मित्र योजना शुरू करने जा रहा है।

उन्होंने शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर ''अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस 2025'' के राज्य स्तरीय समारोह की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वरिष्ठ नागरिकों को बेहतर सुविधाएं और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए ठोस प्रयास कर रही है।

श्री सुक्खू ने कहा कि सरकार 6,71,754 पात्र वरिष्ठ नागरिकों को, चाहे उनकी आय सीमा कुछ भी हो, 1,000 रुपये से 1,700 रुपये प्रति माह सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रदान करती है।

इसी तरह 60 से 69 वर्ष की आयु के पुरुषों को 1,000 रुपये प्रति माह, जबकि इसी आयु वर्ग की महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं। 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को 1,700 रुपये मासिक मिलते हैं।

उन्होंने आगे बताया कि इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना के तहत, राज्य में 2.37 लाख महिलाओं को 1,500 रुपये मासिक पेंशन मिलती है। सरकार एकल और विधवा महिलाओं को घर बनाने के लिए 3 लाख रुपये की वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है।

ज्वालामुखी में 100 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एक 'सुख आश्रय परिसर' का निर्माण किया जा रहा है, जहाँ वरिष्ठ नागरिकों को घर जैसा महसूस कराने के लिए सभी आवश्यक सुविधाएँ प्रदान की जाएँगी। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में, वरिष्ठ नागरिकों की नियमित स्वास्थ्य जाँच के लिए 'रोगी मित्र योजना' भी शुरू की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार के सत्ता में आने के बाद से समाज कल्याण क्षेत्र को अतिरिक्त प्राथमिकता दी गई है और इस दिशा में बनाई गई नीतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

समाज कल्याण पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए श्री सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने अनाथ बच्चों को 'राज्य के बच्चे' का दर्जा देने वाला कानून बनाया है। इन बच्चों को 27 वर्ष की आयु तक शिक्षा, व्यावसायिक अध्ययन और 4,000 रुपये की मासिक पॉकेट मनी सहित सहायता प्रदान की जाती है। हर साल उन्हें एक्सपोज़र विजिट के लिए भेजा जाता है, जहाँ यात्रा, ठहरने और भोजन का सारा खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

मुख्यमंत्री ने शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तनकारी सुधारों पर भी प्रकाश डाला और बताया कि हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय शिक्षा रैंकिंग में 21वें स्थान से पाँचवें स्थान पर पहुँच गया है।

उन्होंने कहा कि गाँवों के बच्चों को बेहतर शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए जल्द ही 100 स्कूलों को सीबीएसई आधारित संस्थानों में परिवर्तित किया जाएगा।

श्री सुक्खू ने कहा कि इन सुधारों के कारण, अगले दो-तीन वर्षों में शिक्षा प्रणाली में सुधार देखने को मिलेगा। स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने के लिए, मेडिकल कॉलेजों को विश्व स्तरीय तकनीक के आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पुराने उपकरणों को एम्स-दिल्ली के मानकों के अनुरूप आधुनिक मशीनों से बदला जा रहा है, जिसकी अनुमानित लागत 300 करोड़ रुपये है।

श्री सुक्खू ने दोहराया कि चमियाना और टांडा मेडिकल कॉलेजों में रोबोटिक सर्जरी पहले ही 30,000 रुपये की मामूली लागत पर शुरू हो चुकी है, जबकि निजी अस्पतालों में यही प्रक्रिया लगभग दो लाख रुपये में पूरी हो जाती है।

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