नैनीताल , नवंबर 19 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ऊधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर स्थित बेशकीमती नजूल भूमि के कथित रूप से अवैध हस्तांतरण और फ्री होल्ड से जुड़े मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को जारी अपने महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश के माध्यम से विवादित भूमि पर अगली सुनवाई तक सभी प्रकार के निर्माण कार्य पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी।
उच्च न्यायालय के इस कदम से फिलहाल इस भूमि पर प्रस्तावित सैकड़ों करोड़ रुपये के वाणिज्यिक माल परियोजना पर ब्रेक लग गया है।
रुद्रपुर नगर निगम के पूर्व पार्षद रामबाबू की ओर से इस प्रकरण को चुनौती दी गई है और इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में हुई।
याचिकाकर्ता की ओर से इस याचिका में कई गंभीर आरोप लगाते हुए सरकारी अधिकारियों और निजी हितधारकों के बीच सांठगांठ का दावा किया गया है।
यह महत्वपूर्ण मामला रुद्रपुर के राजस्व ग्राम लमारा के खसरा संख्या दो की लगभग 4.07 एकड़ (16,500 वर्ग मीटर) नजूल भूमि से जुड़ा हुआ है। याचिका में दावा किया गया है कि यह भूमि मूल रूप से एक जल निकाय (तालाब) है।
यह भी आरोप लगाया गया है कि वर्ष 1988 में इस भूमि की नीलामी केवल मत्स्य पालन के विकास के लिए दो साल की लीज पर की गई थी लेकिन इस भूमि पर मछली पालन का कार्य नहीं किया गया।
याचिका में लगाये गये आरोपों के अनुसार प्रतिवादियों ने बिना किसी वैध पट्टे या लीज समझौते के जमीन पर अनधिकृत कब्ज़ा कर लिया। इसके पश्चात् कथित तौर पर अधिकारियों को गुमराह और सांठगांठ करके नजूल भूमि को फ्री होल्ड में तब्दील करा लिया गया।
कहा गया है कि धोखाधड़ी को छिपाने के लिए राजस्व रिकार्ड में भी परिवर्तन कर दिया गया जो गंभीर विसंगति है। आगे कहा गया कि फ्री होल्ड के नाम पर भी कथित रूप से गड़बड़ी की गई है और सरकार को राजस्व का चूना लगाया गया है। फ्री होल्ड पुरानी दरों (1988) के आधार पर किया गया है और यह भूमि वर्तमान में सैकड़ों करोड़ रुपये की है, जिससे राजस्व की हानि हुई है।
याचिका में उल्लेख है कि निजी प्रतिवादियों की ओर से फ्री होल्ड के बाद एक निर्माण कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम समझौता (जॉइंट वेंचर एग्रीमेंट) किया गया है। इससे साफ है कि प्रतिवादी जल्द ही इस भूमि पर एक विशाल मॉल का निर्माण करने वाले थे।
खंडपीठ ने जारी अपने अंतरिम आदेश में जिला प्रशासन और नगर निगम सहित सभी अधिकारियों को विवादित खसरा संख्या पर किसी भी प्रकार की निर्माण की अनुमति, लेआउट मंजूरी या विकास कार्य की अनुमति न देने के भी निर्देश दिये हैं।
इसके साथ ही खंडपीठ ने आवास, नजूल और राजस्व विभाग से इस पूरे प्रकरण पर एक सप्ताह में विस्तृत जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है। इसके अलावा खण्डपीठ ने सभी पक्षकारों को भी नोटिस जारी किया है। इस मामले में एक दिसंबर को सुनवाई होगी।
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