नैनीताल , नवंबर 14 -- उत्तराखंड के हल्द्वानी में जिला प्रशासन ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो कथित तौर पर जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके आधार कार्ड और स्थायी निवास प्रमाण पत्र तैयार करने में संलिप्त है।
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की एक संयुक्त टीम ने गुरुवार शाम को एक तहसील के अर्जीनवीस के घर से फर्जी प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और सैकड़ों पुराने बिजली बिल बरामद किए। मुख्यमंत्री के सचिव और कुमाऊं आयुक्त (कमिश्नर) दीपक रावत ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और संबंधित पटवारी और बिजली विभाग के कर्मचारियों की भूमिका की जांच के निर्देश दिए हैं।
कमिश्नर रावत ने कहा, "यह कार्रवाई बरेली निवासी रईस अहमद द्वारा एक जनसुनवाई के दौरान शिकायत दर्ज कराने के बाद शुरू हुई, जिसमें शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि बनभूलपुरा में जाली दस्तावेजों के आधार पर स्थायी निवास प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। यह भी दावा किया कि उनकी जानकारी के बिना उनके नाम से निवास प्रमाण पत्र जारी किया गया। जांच में पता चला कि फर्जी प्रमाण पत्र तहसील में अर्जीनवीस के रूप में कार्यरत एक सीएससी संचालक फैजान मिकरानी द्वारा तैयार किया गया था।"अधिकारियों के अनुसार, फैजान ने रईस अहमद, देवेंद्र पांडे और उसकी पत्नी नंदी पांडे के नाम से आईडी का इस्तेमाल करके जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनवाए। पूछताछ के दौरान उनके बयानों से सरकारी कर्मियों की संलिप्तता के भी संकेत मिले।
इसके बाद आरोपी फैजान के बनभूलपुरा स्थित आवास पर एक संयुक्त छापेमारी की गई, जहाँ अधिकारियों ने कई आधार कार्ड, सैकड़ों पुराने बिजली बिल, कई स्थायी निवास प्रमाण पत्र और अन्य संदिग्ध दस्तावेज जब्त किए। जाँचकर्ताओं ने पाया कि पुराने बिजली बिल बिजली महकमे के कुछ कर्मचारियों के माध्यम से हासिल किए गये, जिन्होंने कथित तौर पर आवेदकों से दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए पैसे लिए थे। आशंका है कि इन बिलों का इस्तेमाल फिर धोखाधड़ी से स्थायी निवास प्रमाण पत्र जारी करने के लिए किया गया।
प्रारंभिक जाँच में यह भी पता चला है कि फैजान ने आवेदनों को संसाधित करने और जाली प्रमाण पत्र तैयार करने के लिए फर्जी ईमेल आईडी बनाईं और अन्य व्यक्तियों के मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया।
इसके बाद आयुक्त ने हल्द्वानी के उप जिलाधिकारी राहुल शाह को आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि तहसील परिसर में केवल लाइसेंसधारी व्यक्ति ही काम कर सकें। मौजूदा लाइसेंसधारकों के काम की भी समीक्षा की जाएगी और ऑनलाइन प्रमाण पत्र आवेदनों को मंजूरी देने वाले बिजली विभाग के अधिकारियों और पटवारी की अलग से जाँच के आदेश दिए गए हैं।
मेयर बिष्ट ने कहा कि राज्य गठन के बाद इस प्रकार के गिरोह अधिक सक्रिय हो गए हैं, ऐसे में आवश्यक है कि व्यापक स्तर पर एक तरफ़ा प्रशासनिक जांच शुरू की जाए ताकि पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश हो सके। यह मामला न केवल सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाता है, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा और पहचान से जुड़ी संवेदनशीलता को भी उजागर करता है। जांच जारी है और प्रशासन जल्द ही विस्तृत रिपोर्ट सार्वजनिक करेगा।
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