कानपुर , नवम्बर 10 -- उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्णा ने कहा कि आज के डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। कोविड काल के बाद ई-कॉमर्स में 60 से 70 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है, वहीं सोशल मीडिया पर युवाओं की सक्रियता भी तेजी से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि "जहां इंटरनेट ने जीवन को सरल बनाया है, वहीं इसका दुरुपयोग समाज के लिए गंभीर चुनौती बन गया है।"सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डीजीपी राजीव कृष्णा ने कमिश्नरेट कानपुर नगर पुलिस द्वारा हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी में आयोजित साइबर जागरूकता एवं महिला सशक्तिकरण कार्यशाला का वर्चुअल शुभारम्भ किया।

डीजीपी राजीव कृष्णा ने कहा कि साइबर अपराध अब समाज के हर वर्ग को प्रभावित कर रहा है। बच्चे साइबर बुलिंग का शिकार, महिलाएं साइबर स्टॉकिंग और फ्रॉड की घटनाओं का सामना कर रही हैं। उन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में डिजिटल अरेस्ट जैसे नए अपराध तेजी से बढ़े हैं, जिनसे सभ्रांत नागरिक तक अपनी जीवनभर की कमाई गंवा चुके हैं।

उन्होंने नागरिकों को साइबर अपराध से बचाव के लिए तीन जरूरी कदम बताने पर जोर दिया। जिनमे किसी भी ठगी की स्थिति में तुरंत 1930 पर कॉल करें। गोल्डन टाइम फ्रेम के भीतर रिपोर्ट दर्ज कराएं। सही और संपूर्ण तथ्य पुलिस को उपलब्ध कराएं।

पुलिस महानिदेशक ने कहा कि "लालच, भय और लापरवाही यही साइबर अपराध के तीन प्रमुख कारण हैं। इन्हें रोकना ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।" पुलिस अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि साइबर अपराध की जांच कठिन नहीं है, बल्कि एसओपी आधारित और व्यवस्थित प्रक्रिया है, जिसे हर अधिकारी को सीखना चाहिए।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस नागरिक-केंद्रित, पारदर्शी और त्वरित साइबर कानून प्रवर्तन के लिए प्रतिबद्ध है। सुरक्षित डिजिटल उत्तर प्रदेश तभी बनेगा जब जनता और पुलिस साथ होंगे।

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