नयी दिल्ली , अक्टूबर 15 -- उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत राजस्थान की जोधपुर केंद्रीय जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो को उनकी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में संशोधन करने की बुधवार को अनुमति दे दी।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने एनएसए के तहत वांगचुक की हिरासत के आधार को चुनौती देने वाली गीतांजलि की याचिका में संशोधन की अनुमति दे दी।
अंगमो की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका में संशोधन करने की अनुमति मांगी ताकि सरकार द्वारा दिए गए हिरासत के आधारों को अब उचित रूप से चुनौती दी जा सके। उन्होंने पीठ के समक्ष स्पष्ट किया कि वांगचुक को अपनी पत्नी के साथ नोट्स साझा करने की अनुमति नहीं है।
श्री सिब्बल ने कहा, "उन्होंने (वांगचुक) अपनी नज़रबंदी पर कुछ नोट्स बनाए हैं, जिन्हें वह अधिवक्ता को देना चाहते हैं। वह जो भी नोट्स तैयार करते हैं, उसमें उन्हें वकील की सहायता लेने का अधिकार है। हम बस यही चाहते हैं कि नोट्स उन्हें दिए जाएँ।"इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें याचिकाकर्ता, अंगमो के साथ नोट्स साझा किए जाने से कोई समस्या नहीं है। श्री मेहता ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने हिरासत के आधार बताने में देरी। वांगचुक की नज़रबंदी को चुनौती देने का आधार नहीं बननी चाहिए।
एनएसए के तहत अपनी नज़रबंदी के खिलाफ और रिहाई की मांग करने वाली अंगमो की याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने 06 अक्टूबर को केंद्र, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और जोधपुर सेंट्रल जेल के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
वांगचुक को 26 सितंबर लद्दाख में हुई हिंसा के दौरान गिरफ्तार किया गया था। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी।
लेह के ज़िला मजिस्ट्रेट ने मंगलवार को अदालत को बताया कि कार्यकर्ता वांगचुक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों में लिप्त थे, जिसके कारण उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया।
शीर्ष अदालत इस मामले में 29 अक्टूबर को अगली सुनवाई करेगी।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित