बेंगलुरु , अक्टूबर 16 -- राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति और इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने कर्नाटक में हो रहे जाति सर्वेक्षण में शामिल होने से यह कहते हुए इनकार किया है कि उनका परिवार किसी भी पिछड़े समुदाय से नहीं है।

कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को एक स्व-सत्यापित पत्र लिखकर मूर्ति दंपत्ति ने व्यक्तिगत विवरण साझा न करने के अपने निर्णय से अवगत कराया। उन्होंने लिखा, "हम और हमारा परिवार जनगणना में भाग नहीं लेंगे, और हम इस पत्र के माध्यम से इसकी पुष्टि कर रहे हैं।"कर्नाटक सरकार ने समाज के सभी समुदायों के बीच समान नीति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 22 सितंबर को सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक आंकड़े एकत्र करने के लिए सर्वेक्षण शुरू किया था। शुरुआत में यह सर्वेक्षण 7 अक्टूबर को समाप्त होने वाला था लेकिन चुनाव संबंधी प्रशिक्षण की वजह से विलंब होने के कारण इसकी तारीख राज्य के अधिकांश हिस्सों में बढ़ाकर 12 अक्टूबर कर दी गयी। बेंगलुरु में यह सर्वेक्षण 24 अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया है।

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि सरकार किसी को भी जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं कर सकती। उन्होंने बेंगलुरु में एक पुस्तक विमोचन समारोह में संवाददाताओं से कहा, "हम किसी को भी जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। यह उनकी इच्छा है।"इस विशाल सर्वेक्षण का उद्देश्य कर्नाटक में लगभग सात करोड़ लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का आकलन करने के लिए उनकी गणना करना है। सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों को गणनाकर्ता नियुक्त किया गया है, जिसके कारण राज्य ने उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 8 से 18 अक्टूबर तक 10 दिनों की छुट्टी घोषित की है।

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