पिथौरागढ़, सितम्बर 27 -- उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) डॉ. दीपक सैनी ने तिब्बत (चीन) सीमा से जुड़े छह अंतरराष्ट्रीय दर्रों की साहसिक यात्रा सफलतापूर्वक पूरी कर एक नया कीर्तिमान बनाया है। अभी तक दो चरणों में वह कुल 21 अंतरराष्ट्रीय दर्रों एवं पाँच आंतरिक दर्रों की चढ़ाई कर चुके हैं ।
इस यात्रा से लौटे डॉ. सैनी ने आज बताया कि उत्तराखंड सरकार एवं पर्यटन विभाग के सहयोग से चल रहा प्रोजेक्ट-21 सीमांत क्षेत्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य उत्तराखंड के वाइब्रेंट ग्रामों में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देना, सीमावर्ती क्षेत्रों में नए पर्यटन स्थलों की पहचान करना, स्थानीय ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था और आजीविका को सशक्त करना, सीमांत गांवों की समस्याओं को करीब से समझना तथा सेना एवं अर्धसैनिक बलों और प्रशासन के मध्य समन्वय को मजबूत करना है । डॉ. सैनी ने बताया कि प्रथम चरण (2023) के तहत उन्होंने गढ़वाल क्षेत्र के 10 अंतरराष्ट्रीय दर्रे और तीन आंतरिक दर्रों की चढ़ाई की थी और द्वितीय चरण में 24 अगस्त से 18 सितम्बर 2025 के तहत जौहार घाटी (24 अगस्त-एक सितम्बर) में उंटा धुरा, जयंती धुरा, किंगरी बिगरी दर्रों की चढ़ाई के साथ साथ लास्पा, रिलकोट, बुर्फू, मार्तोली, बिलज्यू, मिलम आदि गांवों का भ्रमण करते हुए ग्रामीणों से संवाद किया और स्थानीय समस्याओं को जाना।
व्यास घाटी में लिपुलेख, ओल्ड लिपुलेख, गूंजी होते हुए ज्योलिंगकोंग और विल्शा अंतिम पोस्ट तक यात्रा करते हुए लंपिया धुरा, मंगशा धुरा कि चढ़ाई की। तत्पश्चात आदि कैलाश पर स्थित सिंगला पास चढ़ कर दारमा घाटी स्थित विदांग पोस्ट में प्रवेश किया तथा वहां से दावे अंतिम पोस्ट पहुंच कर नुवे धुरा व लुवे धुरा की चढ़ाई की।
इस दौरान कुल मिलाकर उन्होंने लगभग 250 किलोमीटर पदयात्रा की और औसतन 5500-5700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित दर्रों को पार किया। आगे बताया कि इस चरण के दौरान एक दिन में उन्होंने अधिकतम 26 किलोमीटर की पदयात्रा की ।
डॉ. सैनी ने बताया कि इस साहसिक यात्रा में उन्हें शून्य से नीचे तीन से छह डिग्री सेल्सियस तापमान, बर्फीले तूफान, अत्यंत संकरे रास्ते एवं चढ़ाई करते समय पत्थर गिरने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन भारतीय सेना और आईटीबीपी के सहयोग से यह यात्रा सफल रही। प्रोजेक्ट 21 के दौरान भारतीय सेना और आईटीबीपी के सैनिकों के साथ डॉ सैनी तथा जिला प्रशासन ने अद्भुत समन्वय स्थापित किया गया तथा सभी बॉर्डर पोस्ट्स पर सैनिकों के साथ रहकर उनकी समस्याओं को करीब से जाना ।
उन्होंने आगे बताया कि भविष्य की योजनाएँ हेतु परी ताल (ऊंटा धुरा, 5200 मी.) को नया पर्यटन स्थल बनाने की योजना है, जिसे छोटे-छोटे बैचों में पर्यटकों के लिए खोला जाए और स्थानीय लोगों की आर्थिकी मजबूत हो और पर्यावरण संरक्षण हेतु भी प्रशासन की जिम्मेदारी तय रहे। आगे बताया कि लपथल से टोपीढूंगा सड़क का काम काफी तेजी से चल रहा है और खिगरूधुरा तक सड़क पहुँच गई है।
मिलन से टोपी दूँगा सड़क का निर्माण कार्य प्रगति पर है तथा सड़क का सर्वे पूरा कर लिया गया है। इसके पूरा होने पर पिथौरागढ़ सीधे गढ़वाल से जुड़ जाएगा और श्रद्धालुओं के लिए बद्रीनाथ धाम और चारधाम यात्रा सुगम होगी। वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत सीमांत गांवों में अजीविका के नए साधन विकसित किए जाएंगे।
डॉ. सैनी ने कहा कि 1905 में लांग स्टाफ द्वारा बनाए गए 11 दर्रों के रिकॉर्ड को उनके द्वारा तोड़ा जा चुका है। वह अब तक 16 दर्रों की चढ़ाई कर चुके हैं और अक्टूबर 2025 में त्रिकोणीय सीमा (भारत-तिब्बत-नेपाल) पर स्थित अंतरराष्ट्रीय दर्रे को पार करेंगे। तीसरे चरण में वे उत्तरकाशी जिले के चार अंतरराष्ट्रीय दर्रे की पार कर प्रोजेक्ट पूर्ण करेंगे ।
उन्होंने उत्तराखंड सरकार, पर्यटन विभाग, कुमाऊँ कमिश्नर दीपक रावत, जिलाधिकारी पिथौरागढ़ विनोद गोस्वामी, भारतीय सेना की 119 ब्रिगेड के कमांडर गौतम पठानिया, आईटीबीपी के आईजी संजय गुंजियाल एवं आईटीबीपी की 14वीं वाहिनी के सेनानायक आरबीएस खुशवाहा,36वीं वाहिनी के सेनानायक संजय कुमार और 7वीं वाहिनी द्वारा किए गए सहयोग के लिए आभार जताया है।
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