बेंगलुरु , अक्टूबर 05 -- कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने रविवार को कहा कि वह केंद्र सरकार से शहर की मेट्रो का नाम 'नम्मा मेट्रो'की जगह 'बसवा मेट्रो'रखने की सिफ़ारिश करेंगे।
श्री सिद्दारमैया ने विश्वगुरु बसवन्ना को 'कर्नाटक का सांस्कृतिक नेता'घोषित किए जाने की वर्षगांठ पर आयोजित 'बसवा संस्कृति अभियान-2025' के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अगर यह परियोजना पूरी तरह से राज्य सरकार के अधीन होती तो वह आज ही नाम की घोषणा कर देते। उन्होंने बसवन्ना की चिरस्थायी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला और कहा कि उनके (बसवन्ना) सह-अस्तित्व, सहिष्णुता और समानता के सिद्धांत शाश्वत हैं, न कि केवल अतीत या वर्तमान तक सीमित।
सामाजिक समरसता पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, "हमारे बीच कई जातियाँ और धर्म हैं। चतुर्वर्ण व्यवस्था में, हमें चौथे स्थान पर रखा गया है। शूद्र चाहे किसी भी जाति के हों, हमें यह समझना चाहिए कि हम सब एक हैं।" उन्होंने जोर दिया कि उनकी सरकार ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से सभी जातियों और धर्मों के गरीबों को समान अवसर प्रदान करने के लिए काम किया है। उन्होंने बताया कि सांस्कृतिक नेता बसवन्ना को श्रद्धांजलि देते हुए सभी सरकारी कार्यालयों में उनका चित्र लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।
बसवन्ना के प्रति अपनी व्यक्तिगत प्रशंसा व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, "कानून के छात्र के रूप में अपने दिनों से ही मैं बसवन्ना का अनुयायी रहा हूँ। डॉ. आंबेडकर ने भी संविधान में बसवन्ना की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित किया। इस प्रकार, संविधान और शरण संस्कृति एक ही हैं।" उन्होंने बंधुत्व पर आधारित जातिविहीन, वर्गविहीन समाज के बसवन्ना के दृष्टिकोण की प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डाला।
प्रस्तावित वचना विश्वविद्यालय के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार ने योजना को मंजूरी दे दी है और अगले वर्ष से विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने बसवन्ना के अनुयायियों से अपने वचनों पर चलने और संत द्वारा बताए गए सिद्धांतों को अपनाने का आग्रह किया।
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