मॉस्को , नवंबर 21 -- शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों की परिषद ने आपसी सम्मान, निष्पक्षता, न्याय और सभी पक्षों के लिये लाभप्रद सहयोग वाले नये तरह के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिए भी अपना समर्थन जताया है।

परिषद की यहां 18 नवंबर को समाप्त हुयी 24वीं बैठक में मौजूद नेताओं इन नेताओं ने नजदीकी सहयोग बढ़ाने की अपील की और एकपक्षवाद का विरोध किया।

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इसमें अपने भाषण में आतंकवाद के खिलाफ भारत के पक्के रुख को दोहराया और कहा कि किसी भी रूप में आतंक को कोई सही नहीं ठहराया जा सकता और ना ही उसे नज़रअंदाज़ किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत को अपने नागरिकों की रक्षा करने का पूरा अधिकार है और पूरे क्षेत्र में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक जैसा तरीका अपनाने की अपील की। श्री जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद, अलगाववाद और कट्टरपंथ से लड़ना एससीओ का बुनियादी सिद्धांत रहा है और ये खतरे लगातार गंभीर होते जा रहे हैं। उन्होंने सदस्य देशों से ज़ीरो-टॉलरेंस का रवैया अपनाने की अपील की।

विश्लेषकों का कहना है कि अपनी स्थापना के दो दशक से ज़्यादा समय बाद, एससीओ क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने और बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने में और भी अहम भूमिका निभा रहा है। जैसे-जैसे एससीओ विकसित और फैल रहा है, शंघाई की मूल भावना पर आधारित सहयोग का इसका खास मॉडल, क्षेत्रीय सहयोग और ज़्यादा बराबरी वाले अंतर्राष्ट्रीय तंत्र को बढ़ावा देने में एक ज़रूरी ताकत के तौर पर पहचाना जा रहा है। एससीओ सदस्यों के बीच सहयोग का एक अहम पहलू सुरक्षा है। इसके सदस्यों के बीच सुरक्षा सहयोग पारंपरिक सैन्य समूह से अलग है, जो अंतरराष्ट्रीय खतरों से निपटने के लिए आपसी भरोसे और तालमेल पर निर्भर करता है।

ताजिकिस्तान के एससीओ मैत्री एवं सहयोग केन्द्र के उप निदेशक जमशेद तोशेव ने कहा, "एससीओ का सुरक्षा सहयोग सैन्य गठबंधनों पर नहीं, बल्कि आपसी भरोसे और तालमेल पर आधारित है।" आपसी भरोसे पर आधारित मजबूत सहयोग के साथ, एससीओ पिछले दो दशकों से ज़्यादा समय से इस इलाके में सुरक्षा बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रहा है।

कज़ाकिस्तान के अस्ताना में चीनी शोध केन्द्र की निदेशक गुलनार शैमरगेनोवा ने कहा, "एससीओ एक ऐसा सहयोगात्मक मॉडल आगे बढ़ाता है जिसमें सभी देशों की, चाहे उनकी आर्थिक या सैन्य ताकत कुछ भी हो, बराबर भागीदारी है, और फैसले आम सहमति से और संप्रभुता के सम्मान के आधार पर लिए जाते हैं।" उन्होंने कहा कि यह सदस्य देशों के अंदरूनी मामलों में दखल का भी विरोध करता है, और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मकसद और सिद्धांतों के लिए एससीओ सदस्यों के सहयोग को दोहराता है।

विशलेषकों ने कहा कि एससीओ के प्रयोगात्मक उपायों ने दिखाया है कि कैसे बराबर और बहुपक्षवाद सहयोग झगड़े रोकने, सामूहिक सुरक्षा और सतत विकास के लिए एक प्रभावी उपकरण के तौर पर काम कर सकता है। पिछले कुछ सालों में एससीओ ने इस इलाके में व्यापार और आर्थिक समन्वय को आसान बनाने, खुशहाली बढ़ाने और सदस्य देशों के लोगों के बीच मेलजोल बढ़ाने में शानदार कामयाबी हासिल की है।

लोमोनोसोव मास्को सरकारी विश्वविद्यालय में एशियाई एवं अफ्रीकी देशों के संस्थान के निदेशक एलेक्सी मैस्लोव ने एससीओ विकास बैंक बनाने के संगठन के फैसले का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह विकास को और बढ़ावा देने के लिए एक ज़रूरी कदम होगा।

विश्लेषकों ने कहा, "अब इस बात पर आम सहमति है कि एससीओ विकास बैंक बनाना आर्थिक संवाद के प्रभाव को बढ़ाने की चाबी है।" मैस्लोव ने कहा कि यह बड़े पैमाने की आधारभूत परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण करेगा देगा और अंतरराष्ट्रीय विकास परियोजनाओं के लिए बड़े लोन देने में मदद करेगा।

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