जालंधर , नवंबर 10 -- राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनपीसीसीएचएच) के सलाहकार डॉ नरेश पुरोहित ने पंजाब में तापमान में गिरावट शुरू होने के मद्देनजर लोगों से सर्दियों के महीनों में मौसमी श्वसन संबंधी बीमारियों से बचाव के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने का आग्रह किया है।

डॉ पुरोहित ने सोमवार को कहा कि सर्दियों के दौरान कुछ छोटी-छोटी सावधानियां बड़ी जटिलताओं से बचा सकती हैं। अगर खांसी, बुखार या सांस लेने में तकलीफ बनी रहे, तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए। आपदा श्वसन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. पुरोहित ने कहा कि सर्दियों की शुरुआत के साथ ही सरकारी और निजी अस्पतालों में श्वसन संबंधी बीमारियों, खासकर क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के मरीजों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। सीओपीडी में क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फिसीमा शामिल हैं। इसके अलावा, बच्चों और बुजुर्गों में एलर्जिक अस्थमा के मामले भी बढ़ रहे हैं।

उन्होंने सलाह दी, "लोगों को ठंडी हवा, धूल और धुएं के संपर्क में आने से बचना चाहिए। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना, हाथों की स्वच्छता बनाये रखना और पर्याप्त मात्रा में पानी पीना प्रमुख निवारक कदम हैं।"चिकित्सक ने स्व-चिकित्सा, विशेष रूप से बिना डॉक्टरी सलाह के मिलने वाली खांसी की दवाइयों के बेतरतीब इस्तेमाल के प्रति आगाह किया।

उन्होंने कहा, " सभी सिरप हर तरह की खांसी के लिए उपयुक्त नहीं होते। कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है। सूखी खांसी के लिए, डेक्सट्रोमेथॉर्फन या प्राकृतिक शहद-आधारित सिरप मददगार हो सकते हैं, जबकि बलगम वाली खांसी के लिए, चिकित्सक द्वारा निर्धारित कफ निस्सारक सिरप लेने की सलाह दी जाती है।"वरिष्ठ महामारी विज्ञानी ने शुष्क इनडोर हवा से होने वाली गले और सीने की जलन को रोकने के लिए घरों को अच्छी तरह हवादार रखने और जहां तक संभव हो ह्यूमिडिफायर का उपयोग करने के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने पुराने फेफड़ों या हृदय रोगों से पीड़ित लोगों से भी समय पर फ्लू और निमोनिया के टीके लगवाने का आग्रह किया।

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