देहरादून , अक्टूबर 05 -- उत्तराखंड की श्री नंदा देवी राजजात समिति ने रविवार को सरकार से 'श्रीनंदा देवी परिषद' के शीघ्र गठन की मांग की जिससे इस प्रसिद्ध यात्रा को सुचारु रुप से संपन्न किया जा सके।
समिति की यहां हुई बैठक में कहा गया कि वर्ष 2026 में प्रस्तावित हिमालयी महाकुंभ "श्री नंदा राजजात यात्रा" में अब मात्र 11 माह शेष हैं, किंतु अभी तक कोई ठोस तैयारी प्रारंभ नहीं हुयी है। समिति ने अनुमान जताया कि आगामी राजजात यात्रा में एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की भागीदारी संभव है।
बैठक में वक्ताओं ने इस यात्रा के मार्ग में पार्किंग, सुरक्षा, भोजन एवं आवास की समुचित व्यवस्था की तैयारियों पर बल देते हुए कहा कि बेदिनी बुग्याल से आगे सीमित संख्या में ही यात्रियों को ही अनुमति दी जाए और उनका स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य किया जाए।
समिति के अध्यक्ष प्रो. राकेश चंद्र सिंह कुंवर ने कहा कि सरकार को सभी पड़ावों पर आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित करनी चाहिए। महासचिव भुवन नौटियाल ने कहा कि मार्गों और पुलों की समय रहते मरम्मत करायी जाए और सरकार को शीघ्र "श्री नंदा देवी परिषद" का गठन करना चाहिए ताकि समन्वय के साथ कार्य संपन्न हो सके।
अल्मोड़ा समिति के अध्यक्ष मनोज वर्मा ने कहा कि परंपराओं के अनुरूप कुमाऊँ की नंदा यात्रा भी नंदकेसरी में भव्य रूप से शामिल होगी। उन्होंने सरकार से मांग की कि यात्रा के दौरान सांस्कृतिक दलों को भेजा जाए जिससे आयोजन का प्रचार-प्रसार बढ़े। महासचिव मनोज सनवाल ने श्री नंदा राजजात से संबंधित सभी ऐतिहासिक तथ्यों के दस्तावेजीकरण की आवश्यकता बतायी है।
विदित हो कि श्री नंदा राजजात यात्रा लगभग 280 किमी लंबी होती है और पैदल ही की जाती है। यह यात्रा उच्च हिमालय स्थित होमकुंड तक जाती है और सात ऐसे पड़ावों से होकर गुजरती है जो निर्जन हैं। हर 12 वर्ष में महाकुंभ की तर्ज पर होने वाली यह यात्रा चंपावत, बदियाकोट, लाता, जोशीमठ आदि क्षेत्रों से आने वाले यात्रियों की विशाल आस्था यात्रा है।
वक्ताओं ने यह भी सुझाव दिया कि "श्री नंदा देवी" के नाम से एक विश्वविद्यालय की स्थापना की जाए जिससे उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण व अध्ययन संभव हो सके।
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