नयी दिल्ली , नवंबर 08 -- प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जब कानून वित्तीय पृष्ठभूमि देखे बिना लोगों की भाषा में, समय पर और सबके लिए उपलब्ध होता है तब ही सही मायने में सामाजिक न्याय की स्थापना होती है।
श्री मोदी ने उच्चतम न्यायालय में 'कानूनी सहायता तंत्र की मजबूती' विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए शनिवार को यहां कहा कि जब व्यक्ति को समय पर न्याय मिलने लगता है और उसकी सामाजिक या वित्तीय पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना उसे न्याय उपलब्ध होता है तो इससे वास्तव में सामाजिक न्याय की नींव बनती है और व्यवस्था भी मजबूत भी होती है।
उन्होंने कहा कि जब लोग कानून को अपनी भाषा में समाहित करते हैं तो इसका बेहतर अनुपालन होता है और तब मुकदमेबाजी भी कम होने लगती है। साथ ही यह भी आवश्यक है कि निर्णय और कानूनी दस्तावेज स्थानीय स्तर पर स्थानीय भाषा में लोगों को उपलब्ध हों।
प्रधानमंत्री ने तकनीकी समावेशन को न्याय प्रक्रिया के लिए जरूरी बताया और कहा कि न्याय प्रदान करने में ई-कोर्ट परियोजना भी एक शानदार उदाहरण बनकर उभर रहा है। उनका कहना था कि आसान कारोबार और आसान जीवन तब ही संभव है जब न्याय सबके लिए आसानी से सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में न्याय की सुगमता को बढ़ाने के लिए कई कदम उनकी सरकार ने उठाए हैं और आगे इस दिशा में और तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं।
उन्होंने मध्यस्थता को हमेशा से अपनी संस्कृति का हिस्सा बताते हुए कहा कि नयी मध्यस्थता में इसी परंपरा को आगे बढ़ाया जा रहा है और उसे आधुनिक स्वरूप दिया जा रहा है। जब न्याय सार्वजनिक स्तर पर सुलभ होता है, समय पर होता है, जब न्याय सामाजिक या वित्तीय पृष्ठभूमि को देखे बिना हर व्यक्ति तक पहुंच जाता है, तब वो सामाजिक न्याय की नींव बनता है।
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