तिरुवनंतपुरम , नवंबर 14 -- दिल्ली में लाल किला के पास हुए कार विस्फोट ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है क्याेंकि इसमें उच्च शिक्षित पेशेवर , चिकित्सा और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े लोगों के शामिल होने का खुलासा हुआ है।
अधिकारियों ने इसे "सफेदपोश आतंकवाद" नाम दिया है, जो एक प्रकार का उग्रवाद है। सफेदपोश आतंकवाद शिक्षा, अनुसंधान और स्वास्थ्य सेवा जैसे संस्थानों में रहते हुए बिना किसी पहचान के काम करता है। जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि आरोपियों ने कथित तौर पर विस्फोटक जमा किए, शैक्षणिक परिसरों में गुप्त बैठकें कीं और संदेह से बचने के लिए अपनी पेशेवर विश्वसनीयता का लाभ उठाया।
अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि दिल्ली विस्फोट की घटना पारंपरिक भूमिगत नेटवर्क से प्रतिष्ठित संस्थानों तक पहुंचने तक के बड़े बदलाव का संकेत है। साइबर विशेषज्ञों के अनुसार आजकल उग्रवादी अक्सर सार्वजनिक रूप से छिपे रहते हैं। प्रतिष्ठित क्षेत्रों के पेशेवरों के पास रसायनों, संचार माध्यमों और तकनीकी विशेषज्ञता तक पहुंच होती है जिससे अधिकारियों के लिए ऐसे नेटवर्क का पता लगाना और उन्हें नष्ट करना मुश्किल हो जाता है।
प्रमुख साइबर-फिजिकल सिस्टम (सीपीएस) सुरक्षा इंजीनियर के.एस. मनोज ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई इस तरह की आतंकवादी घटनाओं का जिक्र करते हुए 2007 के लंदन और ग्लासगो कार बम विस्फोटों में ब्रिटिश डॉक्टर बिलाल अब्दुल्ला की भूमिका, 2019 के श्रीलंका ईस्टर बम विस्फोटों में शिक्षित और आर्थिक रूप से मजबूत अपराधियों की संलिप्तता, और अस्पताल प्रबंधन तथा विस्फोटक डिज़ाइनों के लिए डॉक्टरों एवं इंजीनियरों की आईएसआईएस द्वारा भर्ती जैसे मामलों का विश्लेषण कर कई तथ्यों को सामने रखा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि डॉक्टरों, इंजीनियरों और शिक्षाविदों के पास सामाजिक विश्वास का "सम्मानजनक कवच" है, जिससे चरमपंथी उन तक आसानी से पहुंच बना सकते हैं और सुरक्षा एजेंसियों को उन पर कोई शक भी नहीं होता है क्योंकि अपने पेशे और कार्य के जरिए ऐसे लोग पहले ही समाज और अपने क्षेत्र में सम्मानजनक स्थिति हासिल कर चुके होते हैं। संस्थागत सम्मान अक्सर अवैध गतिविधियों को वैध या प्रशासनिक कार्य के रूप में प्रस्तुत करता है। संस्थानों में काम कर रहे ऐसे अंदरूनी लोग जांच को गलत दिशा देने या विलंबित करने के लिए नौकरशाही प्रक्रियाओं का फायदा उठा सकते हैं, न्याय में बाधा डालने के लिए रिपोर्टों, दस्तावेज़ों और सबूतों में हेरफेर कर सकते हैं।
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