उदयपुर , नवम्बर 21 -- राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश मदनलाल भाटी ने कहा है कि आयोग संवैधानिक प्रावधानों के दायरे में रहते हुए राज्य के अन्य पिछड़े वर्गों के समग्र उत्थान एवं राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए प्रतिबद्ध है।

श्री भाटी ने शुक्रवार को उदयपुर में आयोजित संभाग स्तरीय जनसंवाद और परिचर्चा कार्यक्रम को संबाधित करते हुए कहा कि जनसंवाद में प्राप्त सभी सुझावों का संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप विधिक अध्ययन कराकर न्यायोचित प्रतिवेदन सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अध्ययन करने के लिए आयोग की ओर से सर्वेक्षण भी प्रस्तावित है। उन्होंने सर्वेक्षण प्रपत्र के प्रारूप की जानकारी देते हुए सभी से प्रपत्र को भर कर प्रस्तुत किए जाने का भी आग्रह किया।

संवाद कार्यक्रम में उदयपुर सहित संभाग के विभिन्न जिलों से आए समाज प्रतिनिधियों ने खुलकर सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक उन्नयन को लेकर अपेक्षित मांगें और सुझाव प्रस्तुत किए। आयोग ने सभी सुझावों और न्यायोचित मांगों को आयोग की रिपोर्ट में शामिल करते हुए अग्रेषित किए जाने का आश्वासन दिया।

आयोग सचिव अशोक कुमार जैन ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार राज्य के भीतर स्थानीय निकायों (ग्रामीण/शहरी) में सभी स्तरों पर अन्य पिछड़ा वर्ग के पिछड़ेपन की प्रकृति एवं उसके निहितार्थों का अध्ययन करके राज्य की पंचायती राज संस्थाओं एवं नगरीय निकायों के निर्वाचनों में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के संबंध में अनुशंसाएं राज्य सरकार को प्रस्तुत की जानी हैं। इसके लिए आयोग की ओर से प्रत्येक संभाग मुख्यालय पर जनंसवाद किए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि आयोग राजस्थान की सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के कल्याण एवं स्थानीय निकायों में उनके समुचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए पंचायती राज और शहरी निकायों में ओबीसी जातियों को आरक्षण देने का फार्मूला तय करके अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर राज्य में आरक्षण लागू किया जाएगा।

कार्यक्रम में सांसद डॉ मन्नालाल रावत, राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया और वल्लभनगर विधायक उदयलाल डांगी ने भी विचार व्यक्त किए।

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