नयी दिल्ली , नवम्बर 07 -- उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायधीश,न्यायमूर्ति ए.के. गोयल ने शुक्रवार को भारतीय संविधान में जीवन का दर्शन समाहित होने की बात कहते हुए युवाओं से इसके मूल्यों को अपने आचरण का हिस्सा बनाने का आग्रह किया।
युवा संगठन की ओर से आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक युवा संवाद 'विमर्श 2025' का आज कमला नेहरू कॉलेज में आगाज हुआ। इस मौके पर न्यायमूर्ति गोयल ने कहा कि भारत का संविधान विश्व के सबसे जीवंत संविधानों में से एक है, जिसमें शासन का ढांचा ही नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन भी समाहित है और युवाओं से संविधान के मूल्यों को अपने आचरण का हिस्सा बनाने चाहिए।
इस वर्ष के विमर्श का विषय 'संविधान: भारत की आत्मा' है। इस कार्यक्रम का उदेश्य युवा, शिक्षाविद् और विचारक एक साथ लाना और भारत के संवैधानिक मूल्यों और उसकी जीवंत भावना पर विचार व्यक्त करने के मंच उपलब्ध करना है।
इस मौके पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कमला नेहरू कॉलेज की प्राचार्य प्रो. डॉ. पवित्रा भारद्वाज ने युवाओं को लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रेरित किया और कहा कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि हमारे देश की आत्मा है।
कार्यक्रम की शुरुआत दक्षिण भारत के प्रसिद्ध पारंपरिक नृत्य से हुई, जिसने भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता का सुंदर प्रदर्शन किया। तत्पश्चात महाराष्ट्र के लोकनृत्य की अद्भुत प्रस्तुति ने पूरे सभागार में उत्साह और उल्लास का वातावरण बना दिया। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के उपरांत प्री-विमर्श प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया।
उद्घाटन सत्र की शुरुआत कविंदर तालियान द्वारा की गई, जिन्होंने 'युवा' के उद्देश्य और उसकी यात्रा का परिचय देते हुए कहा कि जैसी दिशा युवाओं को मिलेगी, वैसी ही देश की दशा होगी।
वहीं, विमर्श की संयोजक डॉ. प्रतिभा त्यागी ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया। इस मौके पर कैंपस क्रॉनिकल का वार्षिक पत्रिका 'संविधान द सोल ऑफ भारत' का लोकार्पण किया।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित