दरभंगा , नवंबर 21 -- िहार के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के 11वें दीक्षांत समारोह में बोलते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव डॉ० अतुल कोठारी ने शुक्रवार को कहा कि शिक्षा छात्रों को भावी जीवन की तैयारी में मदद करती है।

श्री कोठारी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन सभी उपाधि धारकों के जीवन का स्वर्णिम दिन है। नैपुण्य प्राप्ति के बाद छात्र अपने ज्ञान का व्यावहारिक उपयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में कला, खेल, संस्कृति, कौशल विकास आदि को अधिक महत्व दिया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा का उद्देश्य चरित्र निर्माण तथा व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास है और हमें शिक्षा के स्वरूप एवं शोध प्रक्रिया में परिवर्तन करना होगा, तभी भारतीय ज्ञान-परंपरा समृद्ध होगी तथा भारत विश्व गुरु बनेगा।

इस समारोह की अध्यक्षता बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खान ने की, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव डॉ० अतुल कोठारी, सम्मानित अतिथि के रूप में आईआईटी, पटना के निदेशक प्रो० टी एन सिंह, विशिष्ट अतिथि राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थु शामिल हुए।

सम्मानित अतिथि प्रो० टी० एन० सिंह ने कहा कि दीक्षांत छात्रों एवं विश्वविद्यालय को अपने-आप के मूल्यांकन का दिन होता है। सूर्य की तरह प्रकाशमान बनने के लिए तपना भी पड़ता है। छात्र अपने माता-पिता एवं शिक्षकों की अपेक्षाओं को पूरा करें, क्योंकि ये हमेशा उन्हें आगे बढ़ते देखना चाहते हैं। विश्वविद्यालय का उद्देश्य अच्छे व्यक्तियों का निर्माण करना होता है। उन्होंने कहा कि मिथिला विश्वविद्यालय दिन प्रतिदिन उत्तरोत्तर विकास कर रहा है, जिसके लिए कुलपति, शिक्षक, पदाधिकारी, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं बधाई के पात्र हैं।

स्वागत संबोधन में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार चौधरी ने कहा कि कुलाधिपति के कुशल नेतृत्व में हमारा विश्वविद्यालय नित्य नए आयाम को प्राप्त कर रहा है और शैक्षणिक माहौल में भी तेजी से सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के सभी सत्र नियमित हैं तथा समय से परीक्षाफल का प्रकाशन भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि नियमित नियुक्ति से शिक्षकों की काफी हद तक कमी दूर हुई है, वही कुलाधिपति के निर्देश पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति से शिक्षा में गुणात्मक सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि 4 वर्षीय स्नातक प्रथम सेमेस्टर सीबीसीएस के तहत 2025-29 में कुल 1,62,500 छात्र-छात्राओं ने नामांकन कराया है। यह बिहार का एकमात्र विश्वविद्यालय है, जिसने नैक के तृतीय चरण को सफलता पूर्वक पार करते हुए 2023 में बी प्लस प्लस ग्रेड प्राप्त किया है, जिसे 2024 में पीएम उषा के तहत शोध विश्वविद्यालय का दर्जा मिला है। यह बिहार का पहला विश्वविद्यालय है, जहां फोरेंसिक प्रयोगशाला की स्थापना हो रही है। 2025 में आइक्यूएसी द्वारा एनएडी पोर्टल (डिजिलॉकर)पर अंक पत्र, औपबंधिक प्रमाण पत्र तथा मूल प्रमाण पत्र अपलोड करने वाला यह बिहार राज्य में अग्रणी विश्वविद्यालय है। उन्होंने बताया कि पूरे विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों का संक्षिप्त प्रोफाइल समर्थ पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में यह एक शोध विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठित होगा।

मिथिला विश्वविद्यालय के दीक्षांत में 26 गोल्ड मेडल, 80 पीएच डी उपाधि सहित 1200 छात्रों को मिली।

कार्यक्रम से पहले एक विद्वत शोभा यात्रा निकाली गई, जिसमें कुलाधिपति सहित कुलपति, पूर्व कुलपति, कुलसचिव, संकायाध्यक्ष, सीनेट, सिंडिकेट तथा विद्वत परिषद् के सदस्यों ने भाग लिया। इस दौरान राष्ट्रगान, विश्वविद्यालय कुलगीत तथा कन्वोकेशन बैण्ड की प्रस्तुति विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया। मुख्य कन्वोकेशन का संचालन कुलसचिव डॉ० दिव्या रानी हांसदा ने किया, जबकि अन्य भागों का संचालन डॉ० प्रियंका राय, डॉ रश्मि कुमारी तथा नेहा कुमारी ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर राज्यपाल सह कुलाधिपति ने पूर्व कुलपति प्रोफेसर राजमणि प्रसाद सिन्हा को भौतिकी के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धि तथा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय एवं आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रोफेसर समरेन्द्र प्रताप सिंह को चिकित्सा क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धि के लिए डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया।

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