नयी दिल्ली , नवंबर 17 -- उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को प्रमुख भारतीय मदिरा निर्माता कंपनियों के मध्य चल रहे ट्रेडमार्क विवाद का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने के लिए पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव को मध्यस्थ नियुक्त किया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह आदेश जॉन डिस्टिलरीज़ की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। इसमें मद्रास उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती दी गयी थी। यह विवाद मदिरा ब्रांडों, जॉन डिस्टिलरीज़ की 'ओरिजिनल चॉइस' और एलाइड ब्लेंडर्स एंड डिस्टिलर्स की 'ऑफिसर्स चॉइस' के नामकरण को लेकर सामने आया है। उच्च न्यायालय ने सात नवंबर के अपने आदेश में "ओरिजिनल चॉइस" को "ऑफिसर्स चॉइस" से भ्रामक रूप से मिलता-जुलता बताते हुए इसे ट्रेडमार्क रजिस्टर से हटाने का निर्देश दिया था। अदालत ने यह भी माना था कि "ऑफिसर्स चॉइस" का 1990 का पंजीकरण वैध है।
विवाद की शुरुआत तब हुई थी, जब एलाइड ब्लेंडर्स ने दावा किया कि दोनों चिह्न ध्वनि और दृश्य समानता के कारण उपभोक्ताओं को भ्रमित कर सकते हैं। इसके जवाब में जॉन डिस्टिलरीज़ ने "ऑफिसर्स चॉइस" के पंजीकरण को ही दोषपूर्ण बताते हुए प्रति-सुधार याचिका दायर की थी।
इस मामले पर 2013 में पूर्ववर्ती बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड ने दोनों पक्षों की याचिकाएँ यह कहते हुए खारिज कर दी थीं कि दोनों ट्रेडमार्क भ्रामक रूप से समान नहीं हैं। बाद में मद्रास उच्च न्यायालय ने निर्णय को गलत ठहराते हुए कहा कि उसने केवल शब्दों को देखा, पूरे लेबल को नहीं। उच्च न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि "ओरिजिनल चॉइस" में विशिष्टता का अभाव है और यह उपभोक्ताओं को धोखा दे सकता है।
लंबे समय से चल रहे विवाद और उसके व्यावसायिक महत्व को देखते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अब इस मामले का समाधान मध्यस्थता के माध्यम से ही बेहतर तरीके से संभव है। अदालत ने न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव को प्राथमिकता के आधार पर दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता कराने का दायित्व सौंपा। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, नीरज किशन कौल, हरीश साल्वे, डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी और श्याम दीवान पक्षकारों की ओर से उपस्थित रहे।
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