, Dec. 18 -- ....कांग्रेस की संजना जाटव ने कहा कि भाजपा का काम सिर्फ पुरानी योजनाओं का नाम बदलना रह गया है। सरकार हकीकत से दूर भाग रही है और जनता के सवालों से बचना चाहती है। उनका कहना था कि नाम बदलने से कुछ नहीं होगा। मनरेगा में जो व्यवस्था की गई है उससे राज्यों पर आर्थिक भार बढ़ेगा और मनरेगा की अवधारणा को कमजोर करेगा।

भाजपा के डॉ राजेश मिश्रा ने इसे क्रांतिकारी विधेयक बताया और कहा कि इससे गांव में रोजगार के अवसर और बढ़ जाएंगे। गांव से पलायन रुकेगा और यदि 15 दिन से कम इस योजना में काम मिलता है तो उस स्थिति में गरीब श्रमिकों को ग्रामीण क्षेत्रों में भत्ता मिलेगा इसलिए इस विधेयक का सभी सदस्यों को समर्थन करना चाहिए।

कांग्रेस के मनोज कुमार ने कहा कि यह विधेयक जन विरोधी ओर गरीब विरोधी है और इसमें सबसे बड़ा अपराध गांधीजी के नाम को हटाने का हुआ है। उनका कहना था कि विधेयक का नाम भले ही बदल दिया है लेकिन अब इसमें लोगों के रोजगार के दिन बढ़ाने की जो घोषणा की गई है उस पर सरकार को खरा उतरना चाहिए और मजदूरी की दर को बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछली बार गरीबों ने मनरेगा के तहत जो काम किया है उसका भुगतान उन्हें नहीं मिला है इसलिए सरकार को मनरेगा श्रमिकों को उनका भुगतान करना चाहिए।

निर्दलीय उमेश भाई पटेल ने कहा कि उन्हें उम्मीद है की सरकार इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की नई लहर पैदा करेगी। उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत मजदूरों को पूरा काम नहीं मिलता है और उन्हें बड़ा नुकसान होता है लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं देती है इसलिए मनरेगा श्रमिकों के साथ पारदर्शिता से व्यवहार हो, इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने योजना से महात्मा गांधी के नाम को हटाने को गलत बताया और कहा कि मनरेगा की दर 500 रुपये प्रतिदिन कम से कम की जानी चाहिए।

कांग्रेस के डॉ मल्लू रवि ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी महान देशभक्त थे और उन्होंने देश की आजादी के आंदोलन का नेतृत्व किया था। मनरेगा विधेयक से उनका नाम नहीं हटाया जाना चाहिए था। उन्होंने मनरेगा के काम में श्रमिकों के लिए 125 दिन की बजाय 150 दिन तक रोजगार देने की मांग की।

सपा के लक्ष्मीकांत पप्पू निषाद ने विधायक का विरोध करते हुए कहा कि भाजपा सरकार को नाम बदलने में महारत हासिल है।

विधेयक पर चर्चा अधूरी रही।

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