गांधीनगर , नवंबर 20 -- द्वितीय वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेंस (वीजीआरसी) आठ-नौ जनवरी को राजकोट में आयोजित होगी।

सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि गुजरात सरकार कच्छ और सौराष्ट्र के समग्र विकास को नयी दिशा देने के उद्देश्य से द्वितीय वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर रही है। यह सम्मेलन इन दोनों क्षेत्रों में उभर रहे औद्योगिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अवसरों को सामने लाने का एक महत्वपूर्ण मंच होगा। साथ ही, यह पश्चिमी गुजरात में तेजी से बढ़ते निवेश, नये अवसरों और समावेशी विकास की गति को भी रेखांकित करेगा।

सम्मेलन में सेरामिक्स, इंजीनियरिंग, पोर्ट और लॉजिस्टिक्स, मत्स्य उद्योग, पेट्रोकेमिकल्स, एग्रो एवं फूड प्रोसेसिंग, खनिज, ग्रीन एनर्जी, कौशल विकास, स्टार्टअप्स, एमएसएमई, पर्यटन और संस्कृति जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष चर्चाएं होंगी। रणनीतिक साझेदारियों, नीतिगत प्रोत्साहनों और निवेशकों की सक्रिय सहभागिता के माध्यम से यह आयोजन पश्चिमी पट्टी में सतत् औद्योगिक विस्तार और संतुलित विकास को गति देने का उद्देश्य रखता है।

पश्चिमी गुजरात में उभरते नये निवेश केंद्र कच्छ, भारत का सबसे बड़ा जिला, विकसित अवसंरचना, मजबूत बंदरगाह कनेक्टिविटी और विस्तार पाते औद्योगिक गलियारों के कारण आज वैश्विक व्यापार का प्रमुख केंद्र बन चुका है। कांडला और मुंद्रा जैसे देश के महत्वपूर्ण पोर्ट इसकी आर्थिक क्षमता को और मजबूती देते हैं। पशुपालन, विविध पर्यटन स्थलों और तेजी से विकसित हो रहे औद्योगिक क्षेत्रों ने कच्छ को पेट्रोकेमिकल्स, 32 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स और एग्रो प्रोसेसिंग के लिए अत्यंत आकर्षक निवेश गंतव्य बना दिया है।

मोरबी, जिसे देशभर में सिरेमिक कैपिटल ऑफ इंडिया के रूप में जाना जाता है, यह 900 से अधिक विनिर्माण इकाइयों के माध्यम से सिरेमिक उद्योग में गुजरात की नेतृत्वकारी भूमिका को स्थापित करता है। यह जिला घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाज़ारों में उल्लेखनीय योगदान देता है।

जामनगर, अपनी सशक्त औद्योगिक पहचान के साथ ब्रास सिटी ऑफ इंडिया के रूप में प्रसिद्ध है। यहां 15,000 से अधिक इकाइयां पीतल के महत्वपूर्ण उत्पादों का निर्माण करती हैं। आम, अमरूद और अनार जैसे उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलों के उत्पादन ने इसे एग्रो-आधारित उद्योगों का महत्वपूर्ण केंद्र बनाया है। जामनगर में स्थित रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की एशिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी इसकी वैश्विक औद्योगिक क्षमता को और बढ़ाती है। राजकोट से तटीय जिलों तक: उद्योग, संस्कृति और व्यापार का मजबूत संगम राजकोट, गुजरात का तीसरा सबसे बड़ा जिला, देश के मशीन टूल्स और विनिर्माण क्षेत्र में अग्रणी है। एमएसएमई विकास, नवीन उद्यमिता और बांधणी-अजरख जैसी पारंपरिक कलाओं ने इसे औद्योगिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण बनाया है।

पोरबंदर, महात्मा गांधी की जन्मभूमि, मत्स्य उद्योग, मिनरल प्रोसेसिंग, हस्तशिल्प तथा देश के सबसे बड़े कॉस्टिक सोडा प्लांट के कारण औद्योगिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। सौराष्ट्र केमिकल्स जैसी संस्थाएं इस क्षेत्र के औद्योगिक तंत्र को मजबूती देती हैं। देवभूमि द्वारका, भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी पावन भूमि होने के साथ-साथ औद्योगिक रूप से भी उल्लेखनीय है। मिथापुर स्थित टाटा केमिकल्स का संयंत्र देश के प्रमुख सोडा ऐश उत्पादकों में शामिल है, जबकि ओखा बंदरगाह मछली उत्पादों, खनिजों और नमक के राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय व्यापार में निर्णायक भूमिका निभाता है।

भावनगर, प्याज उत्पादन का महत्वपूर्ण केंद्र होने के अलावा अलंग में स्थित विश्व के सबसे बड़े शिप-ब्रेकिंग यार्ड के कारण वैश्विक समुद्री उद्योगों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। बोटाद एक उभरता हुआ औद्योगिक और सांस्कृतिक केंद्र बन रहा है। सुरेंद्रनगर, कपास, सौंफ और नमक उत्पादन में अग्रणी होने के साथ-साथ बंधणी और टांगलिया बुनाई की समृद्ध परंपरा के लिए भी प्रसिद्ध है।

जूनागढ़ और गिर सोमनाथ में कृषि और एग्रो-प्रोसेसिंग उद्योगों के साथ-साथ गिर राष्ट्रीय उद्यान और गिरनार पर्वत जैसी पर्यटन संपदाएँ इन्हें इको-टूरिज़्म और फूड प्रोसेसिंग के नये अवसरों से जोड़ती हैं। अमरेली, जहां देश का पहला निजी क्षेत्र का पिपावाव पोर्ट स्थित है, यह थोक एवं कंटेनर कार्गो के लिए प्रमुख समुद्री द्वार है। एग्रो और फूड प्रोसेसिंग तथा सीमेंट उद्योग ने अमरेली को सौराष्ट्र की औद्योगिक विविधता में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया है।

राजकोट में आयोजित होने वाली आगामी वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेंस गुजरात सरकार की क्षेत्रीय प्रगति को अगले चरण में ले जाने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। सतत औद्योगिक इकोसिस्टम, कौशल विकास और नवाचार पर विशेष फोकस के साथ कच्छ और सौराष्ट्र "विकसित गुजरात-विकसित भारत एट2047" की परिकल्पना को साकार करने में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।

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