नयी दिल्ली , अक्टूबर 16 -- विश्व में लगभग 67.3 करोड़ लोगों को पर्याप्त भोजन भी नहीं मिल पाता है, जबकि वैश्विक स्तर पर इतना खाद्यान उत्पादित होता है जो पूरी वैश्विक आबादी का पोषण करने के लिए पर्याप्त है। भूखमरी का दंश झेल रही यह आबादी विश्व की कुल आबादी का आठ प्रतिशत से अधिक है।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ और खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के तत्वाधान हर साल 16 अक्टूबर को 'विश्व खाद्य दिवस' का मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र ने इस अवसर पर बताया कि वैश्विक स्तर पर इतना खाद्यान उत्पादित होने के बावजूद क्यों विश्व की इतनी बड़ी आबादी भूखमरी झेलने को मजबूर है। संयुक्त राष्ट्र ने विभिन्न स्त्रोतों से एकत्रित आकड़ों का विश्लेषण करते हुए बताया कि इसके पांच प्रमुख कारण, संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता , जलवायु परिवर्तन और चरम जलवायु स्थितियां, महंगाई और आर्थिक संकट, गरीबी और असमानता, व्यापार में बाधाएं और बाजार में अस्थिरता हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने इन कारणों को उदाहरणों के साथ प्रस्तुत करते हुए एक व्यापक तस्वीर खींची है। कैरिबियाई देश हैती की लगभग आधी आबादी (57 लाख) देश में चल रहे संघर्ष के कारण भूखमरी का शिकार है।
सोमालिया, सूडान, दक्षिण सूडान, माली, बुर्किना फासो, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी), नाइजीरिया और इथियोपिया आदि देश सूखा, बाढ़ और मरुस्थल के फैलाव के कारण गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। सोमालिया में लगभग चार दशकों से चल रहे सूखे के कारण भूखमरी की स्थिति भयावह हो गई है।
खाद्य और उर्जा की बढ़ती कीमतों ने कम आय वाले देशों में लोगों की भोजन खरीदने क्षमता को कम कर दिया है, जिसने भूखमरी को बढ़ाने में भूमिका निभायी है।
गरीबी और सामाजिक असमानता ग्रामीण और हाशिए पर स्थित समुदायों की भोजन और संसाधनों तक पहुंच को सीमित कर देती है, जिससे दीर्घकालिक भूखमरी बनी रहती है।
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