पटना , अक्टूबर 09 -- बिहार में वर्ष 2020 में हुये विधानसभा चुनाव में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा माले) ने राज्य में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुये 12 सीटों पर जीत हासिल की थी।
वर्ष 2020 के चुनाव में महागठबंधन में सीटों में तालमेल के तहत भाकपा माले को 19 सीटें मिली थी। इस चुनाव में भाकपा माले ने 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। उसे 3.16 प्रतिशत मत मिले।यह भाकपा माले का अबतक का बिहार विधानसभा के चुनाव में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। भाकपा माले को सिकटा, बलरामपुर, जीरादेई, दरौली,फुलवारी, पालीगंज, अगियांव,तरारी, डुमरांव,काराकाट, अरवल और घोसी सीट पर जीत हासिल हुयी थी। हालांकि हत्या के एक मामले में उम्रकैद की सजा मिलने के बाद फरवरी 2024 में अगियांव के विधायक मनोज मंजिल को विधानसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
भाकपा माले पहले इंडियन पीपुल्स फ्रंट (आईपीएफ)के बैनर तले चुनाव लड़ता रहा है। वर्ष 1995 में पहली बार भाकपा माले ने बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमायी। इस चुनाव में भाकपा माले ने 89 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उसे मात्र छह सीटों पर जीत मिली। इनमें मैरवा, दरौली,संदेश, सहार,ओबरा और बगोदर शामिल हैं। इस चुनाव में भाकपा माले को 2.36 प्रतिशत मत मिले थे। उस समय बिहार का विभाजन नहीं हुआ था और यहां 324 सीटें थी।
वर्ष 2000 में भाकपा माले ने 107 सीटों पर चुनाव लड़ा । इस बार के चुनाव में भी उसे मात्र छह सीटों पर जीत मिली। हालांकि उसका मत प्रतिशत बढ़कर 2.50 प्रतिशत हो गया। इस चुनाव में भाकपा माले ने मैरवा, बारसोई, सहार, काराकाट,ओबरा और बगोदर सीट पर जीत मिली।
वर्ष 2005 में राज्य में दो बार विधानसभा चुनाव हुए। वर्ष 2005 फरवरी के चुनाव में भाकपा माले ने 109 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और उसे सात सीटों पर जीत मिली। उसे 2.49 प्रतिशत मत मिले। इस चुनाव में भाकपा माले को मैरवा, दरौली,बारसोई,पालीगंज, संदेश, सहार और काराकाट में जीत मिली।
इस चुनाव में 122 सीटों का स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाने के कारण कोई भी गठबंधन सरकार नहीं बना पाया और कुछ समय के राष्ट्रपति शासन के बाद अक्टूबर-नवंबर में फिर से विधानसभा चुनाव हुए।इस बार के चुनाव में भाकपा माले ने 85 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन उसे केवल पांच सीटों पर सफलता मिली। उसका मत प्रतिशत भी घटकर 2.37 प्रतिशत रह गया। इस चुनाव में भाकपा माले को दरौली, बारसोई, पालीगंज, सहार और काराकाट पर जीत हासिल हुयी थी।
वर्ष 2010 में भाकपा माले ने 104 सीटों पर उम्मीदवार उतारे लेकिन उसे किसी सीट पर जीत नहीं मिली। भाकपा माले इस चुनाव में शून्य पर सिमट गयी। यह चुनाव अबतक बिहार में भाकपा माले के प्रदर्शन का सबसे खराब चुनाव साबित हुआ। उसे केवल 1.97 प्रतिशत मत ही हासिल हुये।
वर्ष 2015 में भाकपा माले ने 98 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे तीन सीटों पर जीत मिली। हालांकि उसका मत प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में कम रहा। उसे 1.54 प्रतिशत मत मिले। भाकपा माले ने बलरामपुर, दरौली और तरारी में सफलता हासिल की।
2020 के विधानसभा चुनाव में पहली बार (भाकपा माले) ने महागठबंधन के साथ तालमेल कर चुनाव लड़ा, जिसका लाभ उसे मिला। वर्ष 2015 में महज तीन सीटों पर सिमटने वाली भाकपा माले ने 12 सीटों पर बाजी अपने नाम की जो उसका अबतक राज्य में हुये विधानसभा चुनाव में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा था।
इसके बाद वर्ष 2024 में हुये लोकसभा चुनाव में भाकपा माले ने दो सीटों पर जीत हासिल की थी। इन प्रदर्शन से उत्साहित भाकपा माले अब अपनी राजनीतिक हैसियत के मुताबिक ज़्यादा सीटें चाहती है। पार्टी का कहना है कि 2020 में उसकी पकड़ जिन इलाकों में बढ़ी है, वहां उसे इस बार ज़्यादा अवसर मिलना चाहिए। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे पर अब अंतिम दौर की बातचीत चल रही है। जल्द ही सीटों की घोषणा की जा सकती है। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में भाकपा माले कितनी सीटों पर जीत दर्ज कर पाती है।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित