गांधीनगर (गुजरात) , अक्टूबर 04 -- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि बैंकों, पेंशन और अन्य वित्तीय सेवा कंपनियों के पास लोगों के खाते में बिना दावे के पड़ा पैसा केवल कागज पर दर्ज रकम नहीं बल्कि "ये आम परिवारों की कड़ी मेहनत से अर्जित बचत हैं और इनसे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और वित्तीय सुरक्षा जैसे कार्यक्रमों की मदद हो सकती है।"श्रीमती सीतारमण ने यहां एक विषेष कार्यक्रम में "आपकी पूंजी, आपका अधिकार" के नारे के साथ राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान शुरू किया। उन्होंने सभी संस्थानों से आग्रह किया कि वे लावारिस वित्तीय संपत्तियों पर इस राष्ट्रव्यापी पहल में समान समर्पण और सम्पर्क बनाए रखें, ताकि कोई भी नागरिक अपने वैध धन से वंचित न रहे। उन्होंने कुछ लाभार्थियों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए जिन्होंने विभिन्न संस्थानों से अपनी लावारिस जमा राशि को सफलतापूर्वक पुनः प्राप्त किया।

सरकार द्वारा एकत्रित जानकारी के अनुसार बैंकों , बीमा कंपनियों, पेंशन कोषों, म्यूचुअल फंड और लाभांश देने वाली कंपनियों के पास लोगों के खातों में कम से कम 1,00800 करोड़ रुपये की धनराशि खातों लावारिस या बिना दावे के पड़ी है। जिनमें कम से कम 75000 करोड़ बैंकों के खातों में पड़ी ऐसी राशि है जिसे अब रिजर्व बैंक को हस्तांतरित कर दिया गया है।

इस अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक नागरिक और समुदाय को लावारिस संपत्तियों का पता लगाने के बारे में जानकारी हो। यह सम्पर्क अभियान सरलीकृत डिजिटल उपकरणों और जिला-स्तरीय संपर्क सुविधाओं पर केंद्रित है। इस अभियान के अंतर्गत बैंक और संबंधित कंपनियों को समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से दावा निपटान करने को प्रेरित किया जा रहा है। इस अवसर पर गुजरात के वित्त मंत्री कनुभाई देसाई भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर श्रीमती सीतारण ने कहा कि यह अभियान तीन मार्गदर्शक स्तम्भों - जागरूकता, सम्पर्क और कार्रवाई - पर आधारित है। जागरूकता के माध्यम से यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक नागरिक और समुदाय को लावारिस संपत्तियों का पता लगाने के बारे में जानकारी हो। सम्पर्क अभियान के लिए सरलीकृत डिजिटल उपाय और जिला-स्तरीय संपर्क सुविधाएं शुरू की गयी हैं। कार्रवाई के तहत समयबद्ध और पारदर्शी दावा निपटान पर जोर है।

वित्तमंत्री ने कहा, "इससे नागरिकों और वित्तीय संस्थानों के बीच की खाई पाटने, सामुदायिक जागरूकता को बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी सही बचत को सम्मान और आसानी से वापस पा सके।" वित्त मंत्री ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, विशेष रूप से गुजरात ग्रामीण बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों की सक्रिय भूमिका की भी सराहना की।

हाल के केवाईसी और पुनः केवाईसी अभियानों की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा कि इन प्रयासों ने नागरिकों और औपचारिक वित्तीय प्रणाली के बीच संबंध को मजबूत किया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, "गाँवों और कस्बों में शुरू की गई ऐसी पहलों ने यह सुनिश्चित किया है कि लाभार्थी अपनी बचत और अधिकारों से जुड़े रहें, जिससे वर्तमान अभियान की सफलता की एक मजबूत नींव रखी गई है।"गुजरात के वित्त मंत्री ने कहा, "लावारिस जमा राशि लाभार्थियों की शिक्षा, सशक्तिकरण और अन्य वित्तीय आवश्यकताओं के लिए बहुत उपयोगी है।"गृह मंत्री और लोक सभा में गांधीनगर क्षेत्र के प्रतिनिधि अमित शाह ने कार्यक्रम के नाम एक संदेश में नागरिकों को इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने ज़ोर दिया गया कि यह पहल केवल दावा न की गई वित्तीय संपत्तियों की वापसी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जनता के विश्वास, सम्मान और सशक्तिकरण को मज़बूत करने की दिशा में एक सामूहिक प्रयास का प्रतीक है।

वित्तीय सेवा सचिव एम. नागराजू ने बताया कि अगस्त 2025 तक बैंकों में बिना दावे के पड़ी 75,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि रिजर्व बैंक के जमाकर्ता शिक्षा एवं जागरूकता कोष में स्थानांतरित की गयी है। इनमें से अब तक लगभग 172 करोड़ शेयर निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण कोष में हस्तांतरित किए जा चुके हैं। इसके अलावा, 13,800 करोड़ रुपये से अधिक बीमा की राशि , लगभग 3,000 करोड़ रुपये की म्यूचुअल फंड और 9,000 करोड़ से अधिक की अवैतनिक लाभांश की राशि बिना दावे के पड़ी है।

वित्त सेवा सचिव ने आगे कहा, "दावों का निपटारा शीघ्रता से, निष्पक्षता से और नागरिकों के लिए अनावश्यक बाधाओं के बिना किया जाना चाहिए, ताकि वे स्पष्टता और विश्वास के साथ आगे बढ़ सकें।" श्री नागराजू ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य प्रत्येक नागरिक के वित्तीय सशक्तिकरण के विभाग के दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त करना है।

यह अभियान वित्तीय समावेशन में भारत की व्यापक उपलब्धियों - जन धन योजना और यूपीआई से लेकर प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण तक - पर आधारित है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि नागरिकों को न केवल वित्तीय सेवाओं तक पहुँच प्राप्त हो, बल्कि उन्हें वह भी वापस मिले जो उनका वास्तविक अधिकार है। यह अभियान अक्टूबर-दिसंबर 2025 के दौरान सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलाया जाएगावित्तीय सेवा विभाग द्वारा संचालित इस अभियान में भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई), पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए), और निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि प्राधिकरण (आईईपीएफए), बैंकों, बीमा कंपनियों के साथ साथ पेंशन कोषों और म्युचुअल फंडों को एक साझा प्लेटफार्म पर जोड़ा गया है।

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