लेह, सितंबर 26 -- केंद्र शासित क्षेत्र लद्दाख की पुलिस ने लेह में हुए हिंसक प्रतिरोध और आगजनी की घटनाओं के दो दिन बाद शुक्रवार को पर्यावरण और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांग्चुक को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया ।

श्री वांग्चुक दिन में लेह से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने वाले थे1 पुलिस ने उससे पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

विभिन्न दलों के नेताओं ने उनकी गिरफ्तारी की निंदा की है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुला ने गिरफ्तारी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि लद्दाख के लोगों से किये गये वायदों को पूरा किया जाना चहिए।

कांग्रेस पार्टी के मीडिया प्रभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि केंद्र सरकार अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया है।

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और टीएमसी की सांसद सागरिका घोष ने भी सोनम वागंचुक की गिरफ्तारी के लिए केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की है।

आप पार्टी के संयोजक श्री केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर कहा कि मोदी सरकार तानाशाही पर उतर आई है। आप मोदी सरकार के इस कदम का विरोध करती है और पार्टी लद्दाख के लोगों की इस लड़ाई में उनके साथ खड़ी हैं।

श्री अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर लिखा कि रावण का अंत हुआ , कंस हिटलर और मुसोलिनी का भी अंत हुआ था। उनसे आज लोग नफ़रत करते हैं। हमारे देश में तानाशाही चरम पर है। तानाशाही और अहंकार करने वालों का अंत बहुत बुरा होता है।

दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी एक्स पर लिखा कि सोनम वांग्चुक लद्दाख की आवाज़ के साथ-साथ पूरे भारत के युवाओं की उम्मीद हैं। सोनम वांग्चुक की आवाज़ में एक शिक्षक की सादगी है, एक वैज्ञानिक का ज्ञान है, और एक सच्चे देशभक्त की आत्मा है। लेकिन आज भाजपा के राज में राजनीति का स्तर इतना गिर गया है कि एक सच्चे देशभक्त और शिक्षक को प्रताड़ित किया जा रहा है।

तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष ने लिखा कि गृह मंत्रालय फिर से अपनी हरकत पर अड़ा है। शासन ने अब मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया है। चाहे कश्मीर हो, मणिपुर हो या लद्दाख जैसे संवेदनशील इलाके, मोदी सरकार के पास न कोई नीति है, न कोई संपर्क, न कोई सुलह, न कोई विश्वास निर्माण। असहमति दर्ज करने वालों को "राष्ट्र-विरोधी" मान लिया जाता है और कठोर कानूनों के तहत गिरफ्तार कर लिया जाता है। यह शर्मनाक है।

गौरतलब है कि बुधवार को हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और पचास से अधिक लोग घायल हो गए थे। आरोप है कि प्रदर्शकारियों को श्री वांग्चुक ने तोड़फोड़ और आगजनी के लिए भड़काया। गृहमंत्रालय उनके गैर सरकारी संगठन- स्टुडेंट्स एजूकेशन एण्ड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख का विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम के तहत पंजीकरण गुरुवार को रद्द कर दिया था।

लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और पुर्वोत्तर के जनजातीय क्षेत्रों के स्वायत्तता देने वाली छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे श्री वांग्चुक 9 सितंबर को 35 दिनों के लिए भूख हड़ताल पर बैठे थे। बुधवार को उनके समर्थक प्रदर्शनकारी उग्र हो गये थे और लेह में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यालय पर हमला बोल दिया था। उन्हें नियंत्रित करने वाले पुलिस और सुरक्षा बलों के बीच हुए हिंसक झड़प में पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी जिसमें कम से कम चार लोगों की मौत हो गयी और कई घायल हो गये।

श्री वांग्चुक ने हिंसा के बाद 15वें दिन ही अपनी भूख हड़ताल वापस ले ली। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पुलिस बुधवार से ही असामाजिक तत्वों पर कड़ी कार्रवाई कर रही है। अब तक 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। साथ ही अधिकारी संभावित बाहरी हस्तक्षेप की भी जांच कर रहे हैं।

श्री वांग्चुक का कहना है क भाजपा ने लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के 2020 के चुनाव में क्षेत्र को छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा किया था, लेकिन उसके बाद से ही कोई गंभीर वार्ता नहीं हुई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 20 सितंबर को घोषणा की थी कि लद्दाख के नेताओं के साथ फिर से बातचीत होगी। अगले दौर की वार्ता 6 अक्टुबर को होने वाली थी।

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