मुंबई , अक्टूबर 01 -- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं किया, हालांकि कई बड़े बैंकिंग सुधारों और कारोबार आसान बनाने के प्रस्तावों की घोषणा कर बैंकों और उद्योग जगत, खासकर निर्यातकों को बड़ी राहत दी।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक की बाद बुधवार को द्विमासिक समीक्षा रिपोर्ट जारी की, जिसमें समिति ने सर्वसम्मति से रेपो दर को 5.50 प्रतिशत पर स्थिर रखते हुए चालू वित्त वर्ष के आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ा कर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। एमपीसी ने नीतिगत रुख को तटस्थ रखते हुए अन्य दरों को भी यथावत रखा है।
आर्थिक वृद्धि के अनुमान में सुधार तथा बैंकों के कारोबार की मजबूती के लिए समीक्षा में की गयी घोषणाओं से शेयर बाजारों में उत्साह दिखा और बीएसई30 सेंसेक्स 716 अंक उछल गया।
आरबीआई ने फरवरी से जून के बीच नीतिगत दर रेपो में तीन बार में कुल मिला कर एक प्रतिशत की कटौती के बाद अगस्त से नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। श्री मल्होत्रा ने समीक्षा रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत है और खुदरा महंगाई में जारी नरमी से कटौती के लिए गुंजाइश भी बनी है, लेकिन दर में और कटौती का कोई फैसला करने से पहले केंद्रीय बैंक थोड़ा इंतजार करेगा और वृहद आंकड़ों को देखेगा।
उन्होंने कहा कि समिति यह देखना चाहती है कि रेपो दर में इस साल फरवरी में प्रतिशत (0.25), अप्रैल (0.25) और जून में (0.50 अंक) की कटौती का लाभ बैंक अपने ग्राहकों तक किस तरह हस्तांतरित करते हैं, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में आयी कमी का क्या असर होता है और अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने के बाद दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ व्यापार समझौते के लिए जारी बातचीत किस दिशा में आगे बढ़ती है।
उन्होंने बताया कि एक प्रतिशत की कटौती में से कुछ लाभ बैंकों ने ग्राहकों को दिया है, लेकिन अभी पूरा लाभ दिया जाना बाकी है।
नीतिगत समीक्षा रिपोर्ट जारी करने के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री मल्होत्रा ने बताया कि खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी से दरों में कटौती के लिए गुंजाइश बनी है और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में 22 सितंबर से लागू कमी से आने वाले समय में मुद्रास्फीति नीचे बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद, अमेरिका द्वारा भारत के खिलाफ लगाये गये 50 प्रतिशत के आयात शुल्क और वैश्विक कारकों की अनिश्चितता है। उन्होंने कहा, "रिजर्व बैंक कोई भी कदम उठाने से पहले और आंकड़ों का इंतजार करेगा। "केंद्रीय बैंक ने ऋण उठाव बढ़ाने के लिए कई सुधारात्मक प्रस्तावों की घोषणा की। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वाणिज्यिक बैंकों के लिए ऋण जोखिम प्रबंधन से संबंधित बासल-3 नियमों को लागू करने के लिए दिशा-निर्देशों का प्रारूप जल्द जारी किया जायेगा। बैंकों के लिए विभिन्न कारोबारों में उतरना आसान बनाया जायेगा और इस पर अबतक लगे प्रतिबंधों को हटाया जायेगा। बैंक के पास जमा राशि के बीमा को जोखिम आधारित बनाया जायेगा।
बैंकों की लंबे समय से जारी मांग को मानते हुये आरबीआई ने भारतीय बैंकों को भारतीय कंपनियों द्वारा किये जाने वाले अधिग्रहण के वित्त पोषण की अनुमति देने का प्रस्ताव किया है। शेयर के बदले ऋण जारी करने की सीमा बढ़ाने का भी प्रस्ताव है।
भूटान, नेपाल और श्रीलंका में शाखाओं वाले बैंक स्थानीय नागरिकों और बैंकों को भारतीय रुपये में ऋण दे सकेंगे, जिससे भारतीय मुद्रा में व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। निर्यातकों के लिए नियमों को आसान बनाया जायेगा।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, लेकिन अमेरिकी आयात शुल्क से निर्यात प्रभावित होगा, विशेष रूप अमेरिका को होने वाले रत्न-आभूषण, श्रृंप, परिधानों, ब्रांडेड दवाइयों, जूते-चप्पल का निर्यात अधिक प्रभावित होगा। आरबीआई ने पहली तिमाही के मजबूत आंकड़ों (7.8 प्रतिशत) को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाया है। दूसरी तिमाही की वृद्धि का अनुमान सात प्रतिशत, तीसरी तिमाही का 6.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही का 6.2 प्रतिशत रखा गया है। वहीं, अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
जीएसटी दरों में लागू कटौती के बाद खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान चालू वित्त वर्ष के लिए 3.1 प्रतिशत से घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया गया है। आरबीआई ने दूसरी और तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति 1.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में चार प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
श्री मल्होत्रा ने कहा कि एमपीसी के दो सदस्यों ने रेपो दर को लेकर रुख को नरम बनाने के पक्ष में राय रखी थी, लेकिन अन्य सभी सदस्य इसे निरपेक्ष बनाये रखने के पक्ष में थे। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का फोकस वित्तीय और मूल्य स्थिरता बनाये रखने पर है।
इसके अलावा, केंद्रीय बैंक ने बैंकिग तंत्र में ऋण उठाव को बढ़ावा देने, भारतीय मुद्रा में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करने और व्यापार को आसान बनाने के लिए भी कई कदमों की घोषणा की।
उद्योग-व्यापार और वित्तीय जगत ने आरबीआई की नीति का स्वागत करते हुए इसमें बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने और कारोबार में आसानी के लिए उठाये गये कदमों की सराहना की है।
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