भोपाल, 21 नवंबर 2025 (वार्ता)। क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में चल रही राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी के चौथे दिन देशभर से आए बाल वैज्ञानिकों को विशेषज्ञों से सीधे संवाद कर अपनी जिज्ञासाओं के समाधान का अनूठा अवसर मिला। दिन भर चले विभिन्न सत्रों में प्रशासन, शोध और बौद्धिक संपदा से जुड़े विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई।
प्रथम संवाद सत्र में भारत सरकार के पेटेंट एवं डिजाइन विभाग के सहायक नियंत्रक प्रोफेसर नीलेश पटेल ने इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी : इंडक्शन टू इक्लूजन विषय पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने बौद्धिक संपदा के स्वरूप, उसकी पहचान, पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क जैसे विभिन्न प्रकारों और उनके महत्व पर विस्तृत जानकारी दी। साथ ही पेटेंट की आवश्यकता, उससे जुड़े अधिकार, दस्तावेजी प्रक्रिया और सावधानियों के बारे में भी छात्रों के प्रश्नों का समाधान किया। उन्होंने बच्चों को नेशनल इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी एवायरनेस मिशन (NIPAM) जैसी योजनाओं से भी अवगत कराया।
इसके बाद म.प्र. पुलिस विभाग के अधिकारी नीरज सहाय तथा मैनिट भोपाल के वैज्ञानिक प्रो. विलास वरुड़कर ने बाल वैज्ञानिकों से वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर संवाद किया। नीरज सहाय ने कहा कि विज्ञान सिर्फ एक विषय नहीं, बल्कि जीवन को देखने का नजरिया है। विज्ञान में क्यों पूछना, अवलोकन करना, परीक्षण और अधिगम के माध्यम से आगे बढ़ना सबसे महत्वपूर्ण है।
प्रो. विलास वरुड़कर ने कहा कि प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों का मस्तिष्क सबसे अधिक रचनात्मक होता है, इसलिए देश को शोध और नवाचार में आगे ले जाने के लिए ऐसे राष्ट्रीय मंच आवश्यक हैं। जलवायु संकट पर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग को समाधान का प्रभावी माध्यम बताया।
मध्यप्रदेश पुलिस विभाग के एसीपी चंद्रशेखर पांडे ने 'मुस्कान अभियान' के तहत अपहृ्त बच्चों को सुरक्षित उनके परिवारों से मिलाने के प्रयासों पर जानकारी दी और बच्चों को सोशल मीडिया से दूरी रखने के लिए प्रेरित किया।
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