पटना , अक्टूबर 05 -- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के तत्वावधान में रविवार को राष्ट्रीय डॉल्फिन शोध केंद्र में राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस धूमधाम के साथ मनाया गया।

संस्थान के अंतरिम निदेशक डॉ. गोपाल शर्मा ने अपने स्वागत भाषण में स्लाइड शो के माध्यम से गंगा डॉल्फिन संरक्षण की दिशा में बिहार एवं भारत सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दीघा घाट से फतुहा त्रिवेणी घाट तक डॉल्फिन पेट्रोलिंग की सख्त आवश्यकता है, जिससे लोगों में जागरूकता और संरक्षण की भावना के साथ शिकार पर रोक लगाई जा सके।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक-सह-मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अभय कुमार ने कहा कि यह संस्थान बिहार और देश के लिए गर्व का विषय है और इसे "सेंटर ऑफ एक्सीलेंस" के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने यहां 45 पदों की स्वीकृति दी है, जिनकी नियुक्ति जल्द की जाएगी। उन्होंने कहा कि डॉल्फिन, जिसे आमतौर पर 'सोंस' कहा जाता है, वह मछली नहीं बल्कि एक स्तनधारी प्राणी है। मछुआरों के प्रशिक्षण के लिये यह केंद्र एक मील का पत्थर साबित होगा।

संजय गांधी जैविक उद्यान, पटना के निदेशक हेमंत पाटिल ने बताया कि गंगा डॉल्फिन केवल भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है, इसलिए इसका संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित