रायबरेली , अक्टूबर 09 -- उत्तर प्रदेश में रायबरेली के मुंशीगंज में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान 'एम्स' के चिकित्सकों ने पैराथायराइड से सम्बंधित प्रथम शल्यक्रिया करते हुए सफलता प्राप्त की है।

एम्स रायबरेली के जनसंपर्क विभाग की ओर से आज गुरुवार को बताया गया कि नई शुरुआत करते हुए चिकित्सको के दल ने सफलतापूर्वक की एम्स रायबरेली की पहली पैराथाइरॉइड सर्जरी की है। इसमे हार्मोनल विकारों, विशेष रूप से गर्दन और हड्डियों के विकारों के लिए व्यापक उन्नत उपचार प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखते हुए गर्दन में पैराथाइरॉइड ट्यूमर से पीड़ित एक महिला में पैराथाइरॉइड सर्जरी में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। टीम में ईएनटी, एनेस्थीसिया, एंडोक्राइन मेडिसिन और पैथोलॉजी के डॉक्टर शामिल थे।

पैराथाइरॉइडेक्टॉमी नामक यह प्रक्रिया पैराथाइरॉइड ट्यूमर के साथ प्राथमिक हाइपरपैराथाइरॉइडिज़्म से पीड़ित रोगियों के लिए सटीक उपचार है। यह वह स्थिति है जहाँ एक या एक से अधिक पैराथाइरॉइड ग्रंथियों में एडेनोमा विकसित हो जाता है, जिससे अत्यधिक मात्रा में पैराथाइरॉइड हार्मोन का उत्पादन होता है, जिससे रक्त में कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है। यह रोग कई शारीरिक प्रणालियों को प्रभावित करता है और इसमें हड्डियों, पथरी (गुर्दे में), कराहना (पेट दर्द), बार-बार पेशाब आना और मनोरोग संबंधी संकेतों (थकान, अवसाद, भ्रम, स्मृति हानि, चिड़चिड़ापन और यहाँ तक कि कोमा) जैसे पारंपरिक लक्षण दिखते है।

50 वर्षीय आशा कार्यकर्ता महिला पीठ के निचले हिस्से में दर्द और गुर्दे की पथरी की शिकायत के साथ एंडोक्रिनोलॉजी ओपीडी में आईं थी। जनरल मेडिसिन और एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर मधुकर मित्तल के नेतृत्व में एंडोक्रिनोलॉजी टीम ने पाया कि उनके गर्दन में एक ट्यूमर (दाहिनी अवर पैराथाइरॉइड ग्रंथि) के कारण उनको यह समस्या थी। इलाज के लिए ट्यूमर को सर्जरी से हटाने का निर्णय लिया गया।

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