चंडीगढ़ , अक्तूबर 02 -- पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने गुरुवार को राजभवन में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये।
राज्यपाल ने कहा कि महात्मा गांधी केवल एक संत, समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ एवं दूरदृष्टा ही नहीं थे, बल्कि वह युगपरिवर्तक थे। उनके विचारों और कार्यों ने न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व को प्रभावित किया। दक्षिण अफ्रीका का रंगभेद विरोधी आंदोलन, श्रीलंका का स्वतंत्रता संग्राम, मार्टिन लूथर किंग जूनियर का अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन, नेल्सन मंडेला का नेतृत्व और दलाई लामा, आइंस्टीन से लेकर बराक ओबामा तक, सभी गांधीजी से प्रेरित रहे।
उन्होंने गांधी जी के एक प्रेरणादायक प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि गांधी जी जीवन के हर क्षेत्र में कर्म, आदत और चरित्र की महत्ता पर बल देते थे। वह मानते थे, "कर्म बोइये और आदत को काटिये, आदत बोइये और चरित्र को काटिये, चरित्र बोइये और भाग्य को काटिये।" उन्होंने कहा कि गांधी जी का मानना था कि स्वतंत्रता केवल अंग्रेजों की वापसी नहीं है, बल्कि यह चेतना है कि लोग स्वयं अपने भाग्यनिर्माता बनें। इसी दृष्टि से वह ग्राम स्वराज्य और आत्मनिर्भरता के पक्षधर थे। खादी उनके लिए मात्र वस्त्र नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता एवं स्वाभिमान का प्रतीक था।
राज्यपाल ने कहा कि आज जब विश्व में हिंसा एवं असहिष्णुता बढ़ रही है, तब गांधीजी की सत्य और अहिंसा की नीति को अपनाना और भी आवश्यक हो गया है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र ने गांधीजी की जयंती को 'अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
लाल बहादुर शास्त्री को स्मरण करते हुए श्री कटारिया ने कहा कि वे सच्चे गांधीवादी थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन सादगी और सेवा को समर्पित किया। प्रधानमंत्री के रूप में उनका लगभग 18 माह का कार्यकाल अल्पकालीन होते हुए भी अद्वितीय रहा। स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अविस्मरणीय है और 'जय जवान, जय किसान' का उनका दिया हुआ नारा आज भी उतना ही प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि यदि हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ी गांधीजी एवं शास्त्रीजी के विचारों और आदर्शों को आत्मसात करे तो भारत निश्चित ही एक सशक्त और सुनहरा राष्ट्र बनेगा।
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