चंडीगढ़ , अक्टूबर 08 -- पंजाबी सिंगर और एक्टर राजवीर जवंदा का बुधवार सुबह पंजाब के मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया।
वह 35 वर्ष के थे।
लुधियाना जिले के पौना गांव में जन्मे राजवीर की जिंदगी अनुशासन, सादगी और मेहनत की मिसाल थी। एक पुलिस कांस्टेबल से लेकर पंजाब के चर्चित गायक बनने तक का उनका सफर संघर्ष और लगन से भरा रहा।
राजवीर ने बचपन से ही गाने की शुरुआत कर दी थी। जब दूरदर्शन की टीम उनके गांव में शूटिंग के लिए आयी, तब उन्होंने दो लाइनें गायीं और टीम के सदस्यों ने उनकी आवाज़ की तारीफ की। यही वह पल था, जिसने उन्हें संगीत की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने जगराओं के सनमती विमल जैन स्कूल से पढ़ाई की, फिर डीएवी कॉलेज से ग्रेजुएशन और पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला से थिएटर और टेलीविज़न में एमए की डिग्री ली। पिता करम सिंह पंजाब पुलिस में एएसआई थे, जिनकी राह पर चलते हुए राजवीर ने 2011 में पंजाब पुलिस में कांस्टेबल के रूप में नौकरी शुरू की। जगराओं में तैनाती के दौरान भी वह संगीत का अभ्यास करते रहे। 2019 में उन्होंने नौकरी छोड़कर गायकी को ही अपना करियर बना लिया।
किसान आंदोलन के समय राजवीर जवंदा ने दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के समर्थन में स्टेज पर निशुल्क परफॉर्म किया। उसी दौरान उन्हें अपने पिता के निधन की खबर मिली, लेकिन उन्होंने गाना पूरा करने के बाद ही मंच छोड़ा और अंतिम संस्कार के लिए गांव रवाना हुए।
साल 2014 में राजवीर ने अपना पहला एल्बम 'मुंडा लाइक मी' रिलीज किया। इसके बाद उन्होंने सिंगर मनिंदर बुट्टर के साथ 'वैर' गाना रिकॉर्ड किया। 2016 में रिलीज हुई 'कली जवंदे दी' एल्बम से उन्हें असली पहचान मिली। अगले ही साल 'मुकाबला' सॉन्ग ने उन्हें स्टार बना दिया। इसके बाद "पटियाला शाही पग", "केसरी झंडे", "शौकीन", "लैंडलॉर्ड" और "सरनेम" जैसे कई हिट गीत आए। उनका गाना "कंगणी", जिसमें माही शर्मा ने काम किया, काफी लोकप्रिय हुआ।
सिंगिंग में सफलता के बाद राजवीर ने एक्टिंग में कदम रखा। उन्होंने 2018 में पंजाबी फिल्म "सूबेदार जोगिंदर सिंह" से डेब्यू किया और सिपाही बहादुर सिंह का किरदार निभाया। इसके बाद वह "काका जी", "जिंद जान", "मिंदो तहसीलदारनी" और "सिकंदर 2" जैसी फिल्मों में नजर आये।
राजवीर को बाइकिंग का बहुत शौक था। वह अपने दोस्तों के साथ अक्सर पहाड़ी इलाकों में बाइक ट्रिप पर जाते थे और होटल के बजाय खुले में कैंपिंग करना पसंद करते थे। कुछ महीने पहले ही उन्होंने 27 लाख रुपये की बीएमडब्ल्यू बाइक खरीदी थी और इसकी जानकारी फैंस से सोशल मीडिया पर साझा की थी। सत्ताइस सितंबर को पिंजौर के पास बाइक चलाते समय उनकी बीएमडब्ल्यू बाइक एक गाड़ी से टकरा गयी। बताया जाता है कि सड़क पर दो सांड लड़ते हुए आये और उन्हें बचाने के प्रयास में यह हादसा हो गया। उन्होंने हेलमेट और सभी सेफ्टी गियर पहने हुए थे, फिर भी सिर और रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोटें आयीं। उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पतालों में ले जाया गया और फिर मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 10 दिन के इलाज के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया।
राजवीर के दादा सौदागर सिंह और पिता करम सिंह का पहले ही निधन हो चुका था। परिवार में मां परमजीत कौर जवंदा, जो गांव पौना की पूर्व सरपंच हैं, पत्नी अशविंदर कौर, बेटी हेमंत कौर, बेटा दिलावर सिंह और बहन कमलजीत कौर हैं।
गांव के लोग राजवीर को एक विनम्र, जमीन से जुड़े व्यक्ति के रूप में याद करते हैं। गांव के गुरुद्वारे के ग्रंथी गुरमीत सिंह बताते हैं कि जब राजवीर छोटे थे, तभी दूरदर्शन की टीम के सामने गाकर उन्होंने सबका दिल जीत लिया था।
राजवीर जवंदा का जीवन सादगी, मेहनत और आत्मसम्मान का प्रतीक था। पुलिस की वर्दी से लेकर म्यूज़िक के मंच तक, उन्होंने अपनी पहचान को हमेशा साफ-सुथरा रखा। उनका जाना पंजाबी संगीत और फिल्म इंडस्ट्री के लिए बड़ी क्षति है, लेकिन उनके गीत आने वाली पीढ़ियों तक उनकी यादें जिंदा रखेंगे।
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