रांची, 05अक्टूबर (वार्ता) रांची में आगामी 16 अक्टूबर को "बृहद झारखंड कला संस्कृति मंच" के बैनर तले एक ऐतिहासिक और भव्य सांस्कृतिक आयोजन होने जा रहा है।
बृहद झारखंड कला संस्कृति मंच के सदस्य ने आज यहां बताया कि यह आयोजन "डहरे सोहराय" पर्व के अवसर पर किया जा रहा है, जिसमें झारखंड सहित देश के विभिन्न हिस्सों से 50 हज़ार से अधिक लोग भाग लेंगे। यह आयोजन न केवल झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करेगा, बल्कि कुड़मी समाज की भाषा, संस्कृति, पारंपरिक नृत्य और लोककलाओं को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का माध्यम भी बनेगा।
"डहरे सोहराय" झारखंड के कुड़मी समुदाय का एक प्रमुख पारंपरिक पर्व है, जो कृषि, पशुधन और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। इस पर्व में धरती माता, बैल, गाय और समस्त जीव-जंतुओं का पूजन किया जाता है, जिससे मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य का संदेश मिलता है। इसी परंपरा को जीवंत करने के लिए बृहद झारखंड कला संस्कृति मंच इस वर्ष रांची में एक अभूतपूर्व सांस्कृतिक संगम का आयोजन कर रहा है।
कार्यक्रम में झारखंड के विभिन्न जिलों - बोकारो, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमसिंहभूम , रांची, गिरिडीह, धनबाद, रामगढ़, हजारीबाग और खूँटी - से लोक कलाकार, सांस्कृतिक दल, झूमर नर्तक-नर्तकियां और लोकगीत गायक भाग लेंगे। मंच के संयोजकों के अनुसार, आयोजन स्थल पर पारंपरिक पोशाकों, वाद्य यंत्रों (मंदर, ढोल, नगाड़ा, बांसुरी) और कुड़मी लोकनृत्य की झलक देखने को मिलेगी।
मंच ने बताया कि कार्यक्रम की खास बात यह है कि इसमें कुड़मी भाषा और साहित्य के संरक्षण पर विशेष परिचर्चा आयोजित की जाएगी, जिसमें विद्वान, शोधार्थी और कलाकार अपने विचार साझा करेंगे। साथ ही, युवा पीढ़ी को अपनी भाषा और संस्कृति से जोड़ने के उद्देश्य से पारंपरिक झूमर नृत्य प्रतियोगिता, लोकगीत प्रस्तुति और सांस्कृतिक झांकी का भी आयोजन होगा।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य है - "कुड़मी पहचान और सांस्कृतिक गौरव को जन-जन तक पहुंचाना।"बृहद झारखंड कला संस्कृति मंच का मानना है कि जब समाज अपनी जड़ों और संस्कृति से जुड़ा रहेगा, तभी उसका भविष्य मजबूत और समृद्ध होगा। कार्यक्रम में समाज के वरिष्ठ जन, बुद्धिजीवी, जनप्रतिनिधि, शिक्षक, कलाकार और युवा बड़ी संख्या में भाग लेंगे।
मंच के प्रतिनिधियों ने बताया कि यह आयोजन पूर्णतः जनसहभागिता पर आधारित है, जिसके लिए समाज के सभी वर्गों से सहयोग प्राप्त हो रहा है। आयोजन की सफलता के लिए स्वयंसेवक टीम कार्यरत है, ताकि आने वाले सभी प्रतिभागियों और दर्शकों के लिए व्यवस्था सुचारु रूप से की जा सके।
यह कार्यक्रम न केवल कुड़मी समाज के गौरव का प्रतीक होगा, बल्कि झारखंड की साझा लोकसंस्कृति और विविधता में एकता के संदेश को भी प्रसारित करेगा। रांची इस दिन एक नई सांस्कृतिक चेतना का साक्षी बनेगा, जब हजारों की भीड़ पारंपरिक नगाड़ों और झूमर की ताल पर "डहरे सोहराय" का उल्लास मनाएगी।बैठक में रांची के विभिन्न प्रखंडों से सैकड़ों सामाजिक लोग शामिल हुए।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित