रांची, 10अक्टूबर (वार्ता) झारखंड की राजधानी रांची के प्रतिष्ठित ऑड्रे हाउस में आज लोककलाओं की पहली राष्ट्रीय प्रदर्शनी "लोक-2025" का शुभारंभ हुआ।

राज्य के पर्यटन, कला-संस्कृति, खेल-कूद और युवा कार्य विभाग, झारखंड सरकार के निदेशक आसिफ अकरम ने आज यहां ऑड्रे हाउस में इसका शुभारंभ रते हुए कहा कि झारखंड में देश भर से जुटायी गयी कलाकृतियों को देखना सुखद है। यह पहला मौका है जब एक साथ तीन-तीन पद्मश्री कलाकारों की कलाकृतियों को देखने का मौका मिल रहा है, साथ ही कई राष्ट्रीय और राज्य पुरस्कार प्राप्त कलाकारों की कलाकृतियां एक साथ प्रदर्शित की गयी है।

श्री अकरम ने कहा कि सरकार सजग है और इस तरह की गतिविधियां आगे भी की जाएंगी जिसका लाभ कलाकारों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि मंत्री सुदीव्य कुमार का हमेशा कला के प्रति साकारात्मक सोच रही है और कला के उत्थान के लिए सतत् प्रयासरत रहते हैं।

साथ ही श्री अकरम कहा कि विभागीय सचिव मनोज कुमार के साकारात्मक सहयोग का ही परिणाम है कि फोकार्टोपीडिया के माध्यम से हमलोग इस राष्ट्रीय प्रदर्शनी का सफलतापूर्वक आयोजन कर पाए।

10 से 15 अक्टूबर तक आयोजित इस प्रदर्शनी में देश के 11 राज्यों की 22 से ज्यादा कला विधाओं की कलाकृतियां शामिल हैं जिनमें खोवर-सोहराई कला, पेटकार कला, जादोपटिया कला, मिथिला कला, गोदना कला, भोजपुरी कला, सांझी कला, गोंड कला, वर्ली और सौरा कला, चितारा कला, सुरपुर लाइन कला एवं अन्य कला विधाओं के ख्यातिलब्ध एवं मूर्धन्य कलाकारों की कलाकृतियां प्रदर्शित की गयी हैं। जिन प्रमुख कलाकारों की कलाकृतियां प्रदर्शित हैं उनमें पद्मश्री शांति देवी, पद्मश्री दुलारी देवी, पद्मश्री अशोक कुमार विश्वास, पुतली गंजू, विजय चित्रकार, राम शबद सिंह, प्रिया पाटिल, ईश्वर नायक, कृष्ण प्रकाश मार्तंड प्रमुख हैं।

प्रदर्शनी के क्यूरेटर और फोकार्टोपीडिया फाउंडेशन के निदेशक सुनील कुमार ने बताया कि पर्यटन, कला-संस्कृति, खेल-कूद और युवा कार्य विभाग, झारखंड सरकार और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, पटना और फोकार्टोपीडिया फाउंडेशन, पटना के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस प्रदर्शनी में देश भर से आमंत्रित 115 कलाकृतियां प्रदर्शित की गयी हैं। गौरतलब है कि फोकार्टोपीडिया लोककलाओं के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में सक्रिय एक राष्ट्रीय संस्था है और लोककलाओं में कला शिक्षा को लगातार प्रोत्साहित करने के प्रति तत्पर है।

इस मौके पर झारखंड के तीन पद्मश्री मधु मंसूरी हसमुख, पद्मश्री मुकुंद नायक और पद्मश्री महाबीर नायक की उपस्थित रहे।

पद्मश्री महाबीर नायक ने कहा हमारे यहां चौंसठ कलाएं है और उन कलाओं को समझने की जरूरत है। चित्रकला उनमें से एक हैं। उन्होंने कहा कि कलाएं कला सजग समाज की बदौलत आगे बढ़ती हैं और वही समाज उन्हें आगे बढ़ाता है, उन्हें जीवित रखता है। पद्मश्री मधु मंसूरी ने कहा कि हमें अपने कलाओं को आगे लाने की जरूरत है। अनेक कलाएं अब धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं, उन्हें हमें संजोने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि किसान हल चलाता है, उसमें भी कला है क्योंकि रेखाएं वहां भी होती है। पद्मश्री मधु मंसूरी की बात को आगे बढ़ाते हुए पद्मश्री मुकुंद नायक ने कहा कि शादी ब्याह के मौके पर और अनेक अवसरों पर की जाने वाली चित्रकारी अब नहीं दिखती है। जाहिर है, हमें ज्यादा सजग होने की जरूरत है और सबसे ज्यादा जरूरत है कि कला को शिक्षा का अंग बनाया जाये।

लोक-2025 में शामिल होने विशेष रूप से दिल्ली से रांची पहुंचे देश के वरिष्ठ कला समीक्षक और कलाकार सुमन कुमार सिंह ने कहा कि आजादी के बाद देश की लोककलाओं के विकास के लिए जैसी अपेक्षा थी वैसी पहल देखने को नहीं मिली। इस लिहाज से फोकार्टोपीडिया फाउंडेशन, कला-संस्कृति विभाग, झारखंड सरकार, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, क्षेत्रीय कार्यालय, पटना की पहल पर इस अखिल भारतीय लोक कला प्रदर्शनी का आयोजन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसकी निरंतरता बनाये रखने की जरूरत है।

प्रदर्शनी के उदघाटन के मौके पर ऑड्रे हाउस में जिन गणमान्य शख्सियतों की उपस्थिति रही, उनमें रामानुज शेखर, विनोद रंजन, हिमाद्री रमणी, दीपांकर रॉय, विपिन कुमार, अंशुमाला, सीमा सिंह, मॉसी जमां, दिलीप टोपो, आदित्य सिंह सिगरीवाल, विश्वनाथ चक्रवर्ती, कृष्णा प्रसाद और पैक्स सोई मुरूम शामिल हैं।

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