नयी दिल्ली , अक्टूबर 07 -- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि रक्षा और सुरक्षा पूरे देश की सामूहिक ज़िम्मेदारी है और रक्षा क्षेत्र को मज़बूत करना केवल किसी संस्था या सरकार का कर्तव्य नहीं बल्कि सभी भारतीयों का साझा संकल्प है। श्री सिंह ने मंगलवार को यहां राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद 'देश में रक्षा विनिर्माण के अवसर' विषय पर बोलते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मज़बूत और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी रक्षा निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में सक्रिय भागीदार बनने का आह्वान किया।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता देश के लिए केवल उत्पादन या अर्थव्यवस्था का मामला नहीं है, बल्कि यह सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक स्वायत्तता का मामला है जो सीधे संप्रभुता से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब देश को 'मॉक ड्रिल' की आवश्यकता थी तो सभी राज्य सरकारों और उनकी एजेंसियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने कहा, " यह सब इस बात का प्रमाण है कि जब हम सभी एक लक्ष्य की ओर मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।"रक्षा मंत्री ने पिछले एक दशक में देश में रक्षा विनिर्माण क्षेत्र की अभूतपूर्व वृद्धि का उल्लेख करते हुए ज़ोर देकर कहा कि भारत का रक्षा उत्पादन जो 2014 में 46,000 करोड़ रुपये से अधिक था अब 2025 में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। उन्होंने कहा कि इसमें से 33 हजार करोड़ रुपये से अधिक निजी क्षेत्र से आता है जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि उद्योग आत्मनिर्भरता मिशन में समान रूप से भागीदार बन गया है।

उन्होंने कहा कि भारत का रक्षा निर्यात 2014 में एक हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 2025 में रिकॉर्ड 23,500 करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने कहा," रक्षा साजो-सामान के दुनिया के सबसे बड़े आयातकों में से एक से रक्षा प्रणालियों के एक विश्वसनीय निर्यातक बनने तक की यह उल्लेखनीय यात्रा हमारे राष्ट्रीय संकल्प का प्रमाण है।"रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत का लक्ष्य 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये का रक्षा विनिर्माण और 50 हजार करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात हासिल करना है। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता केवल मेक इन इंडिया या निर्यात के आंकड़ों तक सीमित नहीं है बल्कि यह इस विश्वास पर आधारित है कि संकट के समय में हम अपनी रक्षा के लिए किसी और पर निर्भर नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा, " यह इस आत्मविश्वास पर आधारित है कि हमारे सशस्त्र बल जिन हथियारों का इस्तेमाल करते हैं, वे हमारी अपनी धरती पर बने हैं, हमारे अपने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की प्रतिभा से निर्मित हैं।"श्री सिंह ने इस अवसर पर रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण पर राज्यों से संबंधित नीतियों का एक संग्रह जारी किया जिसमें विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपनाई गई नीतियों तथा सर्वोत्तम प्रथाओं को संकलित किया गया है। उन्होंने इस दस्तावेज़ को केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर नीतिगत सामंजस्य और समन्वय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

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