चेन्नई, सितंबर 30 -- अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने कहा है कि वैश्विक परमाणु ऊर्जा उद्योग छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) की ओर कदम बढ़ा रहे हैं और दुनिया भर में कई प्रकार के छोटे रिएक्टरों का विकास किया जा रहा है। ऐसे में मौजूदा सुरक्षा नियम इन पर भी लागू होते रहेंगे।

हाल ही में मॉस्को में आयोजित विश्व परमाणु सप्ताह में विभिन्न प्रकार के विकसित किये जा रहे एसएमआर के लिये अलग-अलग सुरक्षा नियमों की आवश्यकता से जुड़े यूनीवार्ता के सवाल का उत्तर देते हुए आईएईए के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने कहा, "बड़े रिएक्टरों के लिये मौजूदा नियम छोटे रिएक्टरों पर भी लागू होंगे।"उन्होंने कहा कि आईएईए नियमित रूप से परमाणु रिएक्टरों के लिये सुरक्षा नियमों की समीक्षा और उसे अपडेट करता रहता है। छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर कारखाना निर्मित, कॉम्पैक्ट इकाइयां हैं जिनकी क्षमता 300 मेगावाट से कम होती है जो आम तौर पर पारंपरिक रिएक्टरों की क्षमता का लगभग एक तिहाई है।

रूस के परमाणु उद्योग की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में विश्व परमाणु सप्ताह का आयोजन देश की एकीकृत परमाणु ऊर्जा कंपनी रोसाटॉम ने किया था।

इससे पहले भारतीय परमाणु विशेषज्ञ ने यूनीवार्ता से कहा कि एसएमआर के सुरक्षा नियम के मानकीकरण या सामंजस्य किसी भी देश के फैसले की संप्रभुता को प्रभावित नहीं करते और न ही प्रवेश बाधा के रूप में काम करते हैं। उनके मुताबिक एसएमआर के साथ जुड़े जोखिम पारंपरिक बड़े रिएक्टरों से उत्पन्न जोखिमों से बेहद कम है। वैश्विक स्तर पर 80 से अधिक एसएमआर डिजाइन विकास के अलग-अलग चरणों में हैं।

परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) के सेवानिवृत्त अध्यक्ष एस.एस. बजाज ने यूनीवार्ता से बात करते हुए एसएमआर के लिये वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त और स्वीकृत नियामक मानदंडों के विकास का स्वागत किया।

एक अन्य भारतीय परमाणु ऊर्जा विशेषज्ञ ने आईएईए प्रमुख के विचारों को दोहराया और कहा कि एसएमआर के लिए सुरक्षा दिशानिर्देश बड़े रिएक्टरों के समान ही होंगे। लेकिन उनके छोटे आकार और क्षमता के कारण कुछ नियमों में बदलाव संभव है जैसे विशिष्ट या बफर क्षेत्रों में जहाँ किसी इंसानी बस्ती की अनुमति नहीं होती है।

बड़े रिएक्टरों के लिये आमतौर पर बफर जोन मुश्किल से परमाणु ऊर्जा संयंत्र की बाहरी परिसर की दीवार से एक किलोमीटर के दायरे में होते हैं।

आईएईए के अनुसार 2030 और उसके बाद माइक्रोरिएक्टरों सहित विभिन्न प्रकार के एसएमआर की बड़े पैमाने पर बनने की उम्मीद है। भारत ने भी एसएमआर विकसित करने का फैसला किया है।

कई दशकों के संचालन के बाद भारत सरकार ने अपने परीक्षण किये हुये 220 मेगावाट दाबयुक्त भारी जल रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) का नाम भारत लघु रिएक्टर रखा है।

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