भरतपुर , नवम्बर 22 -- राजस्थान में सवाई माधोपुर एवं दौसा जिलों के किसानों के सिंचाई के लिये पानी का मुख्य स्रोत एशिया के सबसे बड़े कच्चे बांधों में शुमार सवाईमाधोपुर के मोरल बांध की मोरी खोलकर पूजा अर्चना के बाद शनिवार को नहरों में पानी छोड़ा गया इससे किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई।
बांध के भराव क्षेत्र में इस बार मानसून के दौरान हुई अच्छी बारिश के बाद बांध के लबालब हाेने से क्षेत्र में भूजल-स्तर में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हो गयी। इसके बाद अब बाँध से नहर में पानी छोड़े जाने पर यह पानी सवाई माधोपुर एवं दौसा जिले के तकरीबन 83 गांवों की सिंचाई की जरूरत पूरी करेगा।
सिंचाई विभाग के सूत्रों ने शनिवार को बताया कि मोरल बांध की 105 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर से क्षेत्र में 19 हजार 670 हेक्टेयर भूमि और बांध की 53 किलोमीटर लंबी पूर्वी नहर से 6707 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है।
पानी छोड़े जाने के समय हुई पूजा अर्चना के दौरान सिंचाई विभाग दौसा एवं सवाई माधोपुर के अधिकारी, किसान नेता एवं बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे।
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