मुंबई , अक्टूबर 09 -- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में आर्थिक क्षेत्र में किये जा रहे व्यापक सुधारों का उल्लेख करते हुए ब्रिटिश कंपनियों और उद्योगपतियों से भारत की विकास यात्रा में शामिल होने का आह्वान किया है और कहा कि कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें दोनों देश दुनिया में संयुक्त रूप से नंबर एक बनकर नये वैश्विक मानक तय कर सकते हैं।

श्री मोदी ने गुरूवार को यहां ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ व्यापक वार्ता के बाद भारत-ब्रिटेन सीईओ फाेरम की बैठक में हिस्सा लिया।

प्रधानमंत्री ने ढांचागत विकास को भारत की प्राथमिकता बताते हुए कहा कि भारत अगली पीढी की बुनियादी अससंरचना के क्षेत्र में निवेश कर रहा है। एक ओर भारत वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट के नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर है तो दूसरी ओर उसने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया है। ब्रिटिश कंपनियों और उद्योगपतियों से भारत की विकास यात्रा में शामिल होने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों को इन अवसरों का फायदा उठाना चाहिए।

उन्होंने कहा , " मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि हम न्यूक्लियर पॉवर सेक्टर को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोल रहे हैं। और इन सभी से भारत-ब्रिटेन सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के अवसर बने हैं। मैं आपको भारत की इस विकास यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूँ। मेरा विचार है कि क्या भारत और ब्रिटेन के बिजनेस लीडर मिलकर कुछ ऐसे सेक्टर चुन सकते हैं, जहाँ हम संयुक्त रूप से दुनिया में नंबर वन बन सके ? चाहे वो फिनटेक हो, ग्रीन हाइड्रोजन हो, सेमीकंडक्टर हों या स्टार्ट अप हो। और भी कई क्षेत्र हो सकते हैं। आइए भारत और ब्रिटेन मिलकर नये वैश्विक मानक तय करें। "प्रधानमंत्री ने उद्योगपतियों से कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में व्यापक रूप से सुधार किये जा रहे हैं और व्यापार सुगमता तथा जीएसटी जैसे सुधारों से देश में विकास गाथा को नयी ताकत मिलेगी तथा आप सभी के लिए भी संभावनाएं बढ़ेंगी।

श्री मोदी ने कहा कि यह फोरम दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में उभरी है और उन्हें विश्वास है कि दोनों देश इसके माध्यम से स्वभावित साझीदारों के रूप में तेजी से आगे बढेंगे। उन्होंने कहा कि वैश्विक अस्थिरता के बीच यह वर्ष भारत-ब्रिटेन संबंधों में स्थिरता के मामले में अभूतपूर्व रहा है। दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल व्यापार समझौता नहीं बल्कि विश्व की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच साझा प्रगति और साझा समृद्धि का रोड़मैप है। उन्होंने कहा कि बाजार पहुंच के साथ-साथ यह समझौता दोनों देशों में छोटी औद्योगिकी इकाईयों को बल देगा और इससे लाखों युवाओं के लिए रोज़गार के नए द्वार भी खुलेंगे।

प्रधानमंत्री ने इस समझौते के अधिकतम दोहन के लिए वाणिज्य और अर्थव्यवस्था, शिक्षा और लोगों के बीच संपर्क, प्रौद्योगिकी और नवाचार तथा आकांक्षाओं जैसे चार आयामों को महत्व देने का सुझाव दिया।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि दोनों देश वर्ष 2030 तक 56 अरब डॉलर के मौजूदा द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने के लक्ष्य को समय से पहले ही हासिल कर लेंगे।

प्रधानमंत्री ने नीतिगत स्थिरता , निश्चित नियमन और निरंतर बढती मांग का उल्लेख करते हुए कहा कि अभी भारत में हर क्षेत्र में अभूतपूर्व अवसर हैं। ब्रिटिश विश्वविद्यालयों के भारत में कैंपस खोले जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने विश्वास वयक्त किया कि आने वाले समय में शिक्षा-उद्योग क्षेत्र में साझेदारी दोनों देशों की नवाचार अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार बनेगी।

उन्होंने कहा कि दूरसंचार, ए आई , बायोटेक, क्वांटम, सेमीकंडक्टर, साइबर और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में हमारे बीच सहयोग की अनगिनत नई संभावनाएं बन रही हैं। रक्षा के क्षेत्र में भी हम मिलकर डिजायन विनिर्माण की ओर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब इन सभी संभावनाओं को कंक्रीट सहयोग में बदलने पर तेज गति से काम करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा, " क्रिटिकल मिनेरल्स, रेयर-अर्थ, ए पी आई जैसे स्ट्रटीजिक सेक्टर्स में हमें तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। इससे हमारे संबंधों को एक फ्यूचरिस्टिक दिशा मिलेगी।"फिनटेक सेक्टर में भारत के सामर्थ्य का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वित्तीय सेवाओं ब्रिटेन का अनुभव और भारत के डिजिटल सार्वजनिक प्लेटफार्म मिलकर पूरी मानवता का हित कर सकते हैं।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित