मैसूरु , अक्टूबर 01 -- मैसूरु शहर में दो अक्टूबर को होने वाले 416वें दशहरा उत्सव के भव्य समापन की तैयारियां जोरों पर हैं। सड़कों को जीवंत सजावट, पुष्प मालाओं एवं पारंपरिक तोरण से सजाया गया है और वातावरण ढोल-नगाड़ों तथा मंदिर संगीत की मधुर धुनों से गूंज रहा है।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मैसूर पैलेस के उत्तरी द्वार पर सदियों से चली आ रही भक्ति भावना से ओतप्रोत नंदी ध्वजा पूजा के साथ इस दिन का उद्घाटन करेंगे। पूजा के बाद देवी चामुंडेश्वरी को पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी जो श्रद्धा, समृद्धि एवं दशहरा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

इस वर्ष उत्सव को 11 दिनों तक बढ़ाया गया है जो परंपरागत 10 दिनों से ज्यादा है, जिससे उत्सव की भव्यता को बढ़ाने के लिए शहर की प्रतिबद्धता उजागर होती है। उत्सव का मुख्य आकर्षण और पांचवीं एवं अंतिम बार भाग लेने वाला प्रमुख हाथी अभिमन्यु जम्बू सवारी के दौरान स्वर्ण हौदा लेकर चलेगा। जुलूस में 13 अन्य हाथी भी शामिल होंगे, जिनमें हेमावती जुलूस में पहली बार शामिल हो रही है। प्रत्येक हाथी को चमकीले कपड़ों एवं पारंपरिक आभूषणों से सजाया गया है जो मैसूर दशहरा के पर्याय बन चुके दृश्यात्मक तमाशे को और भी भव्य बना देगा।

जंबू सवारी की तैयारियां बहुत ही बारीकी से की गयी हैं। कर्नाटक के विभिन्न शिविरों से कड़ी चयन प्रक्रिया से गुजरने के बाद चयनित हाथियों को जुलूस के लिए हफ़्तों तक प्रशिक्षण, विशेष आहार और स्वास्थ्य जांच से गुज़रना पड़ा है। इस दौरान 59 वर्षीय गजराज अभिमन्यु अंतिम खंड का नेतृत्व करेगा, उसके साथ मादा हाथी कावेरी और रूपा भी होगी। धनंजय 'निषाणे' हाथी की भूमिका निभाएंगे, उनके बाद गोपी 'नौपथ' की भूमिका में होंगी, जबकि महेंद्र, श्रीकांत, लक्ष्मी, कंजन, भीम, एकलव्य, प्रशांत, सुग्रीव और हेमवती तीन समूहों में विभाजित होकर इस पंक्ति को पूरा करेंगे।

उप वन संरक्षक (वन्यजीव) आईबी प्रभुगौड़ा ने पुष्टि की है कि हाथी पूरी तरह स्वस्थ हैं उनमें शक्ति, संतुलन और शालीनता है तथा वे उत्सव के दौरान सुरक्षित प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं।

मैसूर की सड़कें पांच किलोमीटर लंबी जुलूस से जीवंत हो उठेंगी, जिसमें औपचारिक संगीत, पारंपरिक नृत्य और लयबद्ध ढोल की थाप शामिल होगी ।यह एक मनमोहक नज़ारा पेश करेगी जो हर साल हज़ारों दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। दर्शक रास्ते में कतारों में खड़े होकर इस नज़ारे को अपने कैमरों और फ़ोनों में कैद करते हैं जबकि विक्रेता और स्थानीय कलाकार उत्सव के माहौल में चार चांद लगा देते हैं।

जंबू सवारी केवल हाथियों का जुलूस नहीं है बल्कि यह कर्नाटक की सांस्कृतिक एवं शाही विरासत की एक चलती-फिरती झांकी है, भक्ति, कलात्मकता और इतिहास का उत्सव है।

अधिकारियों ने प्रतिभागियों और जनता, दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यापक उपाय किए हैं। वन और पुलिस विभाग ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर सुरक्षा एवं भीड़ प्रबंधन का समन्वय किया है जबकि जनता को सोशल मीडिया पर हाथियों को संकट में दिखाने वाली भ्रामक सामग्री साझा न करने की सलाह दी गई है।

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