चेन्नई , नवंबर 22 -- पट्टाली मक्कल कच्ची (पीएमके) के अध्यक्ष डॉ. अंबुमणि रामदास ने कावेरी नदी पर मेकेदातु में एक नया बांध बनाने के लिए कर्नाटक की तेज होती गतिविधियों पर चिंता जताते हुए तमिलनाडु सरकार से इसे रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय में एक समीक्षा याचिका दायर करने और इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सभी दलों की एक बैठक बुलाने का आह्वान किया।

डॉ अंबुमणि ने द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सरकार से कावेरी डेल्टा के किसानों का डर दूर करने के लिए सभी कदम उठाने की भी शनिवार को अपील की। उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक में कावेरी और उसकी सहायक नदियों काबिनी, हरंगी, हेमावती और सुवर्णवती पर बने सभी बांध द्रमुक के सत्ता में रहते हुए कथित धोखे का परिणाम हैं।

पीएमके नेता ने कहा कि मेकेदातु बांध को अब उसी सूची में नहीं जोड़ा जाना चाहिए। इसलिए, इस मामले में उच्चतम न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर करने सहित सभी विकल्प देखे जाने चाहिए।

पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. अंबुमणि ने कहा कि यह चिंता की बात है कि मेकेदातु बांध पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद कर्नाटक सरकार ने कावेरी नदी पर एक नया बांध बनाने की तैयारी तेज़ कर दी है। उन्होंने कहा कि कावेरी जिले के किसानों ने भी यही चिंता जताई है, लेकिन यह बहुत बुरा है कि द्रमुक सरकार किसानों की भलाई के लिए कोई चिंता किए बिना चुप है।

पीएमके नेता ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने नये बांध के लिए एक डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करके केंद्र सरकार को सौंप दी है।

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने 13 नवंबर को तमिलनाडु सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें केंद्रीय जल संसाधन आयोग और कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण को नए बांध की परियोजना रिपोर्ट की जांच करने से रोकने की मांग की गई थी।

डॉ. अंबुमणि ने आरोप लगाया, "हालांकि, द्रमुक सरकार हमेशा की तरह इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है और अपने अधिकारों को दांव पर लगाने की तैयारी कर रही है।" उन्होंने कहा कि कावेरी मुद्दे पर केंद्र और कर्नाटक सरकार के पिछले नज़रिए को जानने वाले लोग आसानी से मानेंगे कि यह तमिलनाडु के लिए एक बड़ा झटका था।

उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद कर्नाटक सरकार ने मेकेदातु बांध बनाने का काम तेज़ कर दिया है। कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री और सिंचाई मंत्री डी.के. शिवकुमार ने 18 नवंबर को कर्नाटक सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद कहा था कि हालांकि डीपीआर पहले ही तैयार करके जमा कर दी गई है, लेकिन इसमें कुछ कमियों को दूर करने के बाद जल्द ही एक नई प्रोजेक्ट रिपोर्ट जमा की जाएगी।

उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने नया कार्यालय खोल लिया है और बांध बनाने का शुरुआती काम करने के लिए कर्मचारी भी नियुक्त कर दिये गये हैं।

वहीं दूसरी ओर, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली गए थी और उनसे मेकेदातु बांध बनाने के लिए जल्द मंज़ूरी देने की अपील की थी।

डॉ. अंबुमणि ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के फैसले और उसके बाद कर्नाटक सरकार के उठाए गए कदमों से कावेरी डेल्टा के किसानों में डर और चिंता पैदा हो गई है। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपील की है कि कावेरी नदी पर नए बांध के निर्माण को रोकने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए।

डॉ. अंबुमणि ने कहा कि कर्नाटक में कावेरी नदी और उसकी सहायक नदियों पर बने बांधों की मौजूदा क्षमता 114.57 एक हजार मिलियन क्यूबिक फीट (टीएमसी) है। इस क्षमता के बांधों के बावजूद, कर्नाटक तमिलनाडु को पानी नहीं देता है। अगर 70 टीएमसी क्षमता वाला मेकेदातु बांध बनता है, तो कर्नाटक के बांधों की कैपेसिटी बढ़कर 184 टीएमसी हो जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कर्नाटक मेट्टूर बांध की क्षमता से लगभग दोगुना पानी जमा करता है, तो तमिलनाडु को पानी नहीं मिलेगा और कावेरी बेसिन रेगिस्तान बन जाएगा।

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