अहमदाबाद , अक्टूबर 11 -- गुजरात विद्यापीठ के 71वें दीक्षांत समारोह में डिग्रीधारी विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए यहाँ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के करकमलों से डिग्री प्राप्त करने का सौभाग्य मिलना विद्यार्थियों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।
श्री पटेल ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश जब अमृतकाल में स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर गति कर रहा है, तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा स्थापित इस संस्थान से दीक्षांत का अवसर गौरवमय है।
मुख्यमंत्री ने गुजरात विद्यापीठ की विरासत को याद करते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने 1920 में युवाशक्ति को सत्य, अहिंसा तथा आत्मनिर्भर भारत के शाश्वत विचारों के साथ राष्ट्र निर्माण के प्रति प्रेरित करने के लिए इस विद्यापीठ की स्थापना की थी। स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध असहयोग आंदोलन की नींव रही इस विद्यापीठ का आज का दीक्षांत समारोह विकसित तथा आत्मनिर्भर स्वदेशी भारत के संवाहक युवाओं के समाज में पदार्पण का अवसर बना है।
दीक्षांत समारोह की प्राचीन परंपरा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में गुरुकुल में शिक्षा पूर्ण होने के बाद ऋषि कुमारों को समाज तथा राष्ट्र के लिए शिक्षा का उपयोग करने का उपदेश दिया जाता। भगवान श्री राम, श्री कृष्ण तथा पांडव भी गुरुकुल में शिक्षित-दीक्षित हुए थे।
उन्होंने कहा कि आज उसी गुरुकुल परंपरा का स्थान आधुनिक विश्वविद्यालयों ने लिया है और गुजरात विद्यापीठ मूल्यनिष्ठ तथा समयानुकूल शिक्षा देने वाले विशिष्ट संस्थान के रूप में उभरी है।
प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत के विजन पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमत्री ने कहा कि उन्होंने सुराज्य यानी गुड गवर्नेंस का मंत्र दिया है। प्रधानमंत्री ने स्वयं हाथ में झाड़ू लेकर स्वच्छता को एक जन आंदोलन बनाया है। उन्होंने खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन के आह्वान द्वारा स्वदेशी को प्रोत्साहन दिया है, जिसके परिणामस्वरूप पिछले 11 वर्षों में खादी की बिक्री में 447 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि है।
श्री पटेल ने जोड़ा कि विद्यापीठ एक शताब्दी से अधिक समय से गांधीजी के सत्य, अहिंसा एवं श्रम के मूल्यों को जीवंत करने में सफल रही है। इन्हीं मूल्यों को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री भी युवाओं के राष्ट्र 'राष्ट्र प्रथम' की भावना का सिंचन कर रहे हैं। श्री नरेन्द्र मोदी ने गरीब, युवा, अन्नदाता तथा नारीशक्ति (ग्यान) को विकसित भारत के चार मुख्य स्तंभ कहा है, जिसमें युवाशक्ति को विशेष महत्व दिया है। पिछले एक दशक में स्किल, शिक्षा तथा स्टार्टअप जैसे इनिशिएटिव द्वारा युवाओं को सशक्त बनाया है और नई शिक्षा नीति द्वारा युवाओं के इनोवेशन को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
डिग्रीधारी विद्यार्थियों को प्रेरणा देते हुए श्री भूपेंद्र पटेल ने कहा, "विद्यापीठ के विद्यार्थी अन्यों की तुलना में विशेष हैं, कारण कि आपने शिक्षा के साथ स्वानुशासन, श्रम का गौरव तथा स्वदेशी जैसे मूल्य आत्मसात किए हैं।" उन्होंने बदलते वैश्विक परिदृश्य में आत्मनिर्भरता तथा स्वदेशी की बढ़ती महत्ता पर बल दिया और प्रधानमंत्री द्वारा शुरू कराए गए 'हर घर स्वदेशी-घर घर स्वदेशी' अभियान का संवाहक बन कर समाज में जागरूकता लाने का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी के मतानुसार हर वस्तु का विकल्प हो सकता है, लेकिन स्किल, इनोवेशन तथा मेहनत का कोई विकल्प नहीं है और ये तीनों शक्तियाँ देश के नवयुवाओं में रही हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इसी शक्ति से हम आत्मनिर्भर गुजरात से आत्मनिर्भर का निर्माण कर सकेंगे। अंत में उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं।
इस अवसर पर स्नातक हुए विद्यार्थियों ने दीक्षांत प्रतिज्ञा ली।
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