जगदलपुर , अक्टूबर 03 -- विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व के तहत शनिवार को ऐतिहासिक सिरहासार भवन में मुरिया दरबार का आयोजन किया जाएगा जो बस्तर की सांस्कृतिक एवं प्रशासनिक विरासत का एक जीवंत प्रतीक है। इस दरबार में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल होने वाले हैं।

बस्तर की संस्कृति एवं इतिहास के जानकार रूद्रनारायण पानीग्राही ने बताया,'मुरिया' शब्द हल्बी लोकभाषा में 'मूल' या 'प्रारंभ' का द्योतक है। यह बस्तर के आदि निवासियों के लिए प्रयुक्त होता था। रियासतकाल में यह दरबार 'एकतंत्रीय न्याय प्रणाली' के रूप में स्थापित था, जहाँ जनता की समस्याओं का त्वरित निपटारा किया जाता था।"इस दरबार की परंपरा का सूत्रपात आठ मार्च, 1876 को हुआ था। तब से लेकर आज तक, यह परंपरा बस्तर दशहरा का एक अभिन्न अंग बनी हुई है। पहले यह राजा और प्रजा के बीच सीधे संवाद का मंच था, जहाँ गाँवों के प्रतिनिधि अपनी समस्याएँ रखते थे। वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था में इसने एक सांस्कृतिक एवं जन-संपर्क के मंच का रूप ले लिया है।

राजशाही प्रथा की समाप्ति के बाद लोकतंत्र में निर्वाचित जनप्रतिनिधि ही जनता के सेवक माने जाते हैं। ये सेवक ही समस्याओं को सुनकर/जानकर उसे दूर करने की क्षमता रखते हैं। बस्तर दशहरा के मुरिया दरबार में मुख्यमंत्री भी मांझी, चालकी,बेतमा आदि स्थानीय लोगों की बातों/समस्यायों आदि को सुनते रहे हैं।

केंदीय गृहमंत्री शाह चार अक्टूबर को मुरिया दरबार में शामिल हो रहे हैं। मुरिया दरबार में स्थानीय लोगों की जरूरतों और समस्याओं को पारंपरिक तौर तरीकों से सुनने वाले पहले केंद्रीय मंत्री हैं श्री अमित शाह।

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