मिर्जापुर , अक्टूबर 16 -- पीतल नगरी मिर्जापुर में धनतेरस पर इस बार पीतल और फूल के बर्तन भी सजे हैं। स्टील के बर्तनों की चमक के साथ पीतल के बर्तनों की खनक भी मौजूद है। पीतल के फैन्सी आइटम ग्राहकों को आकर्षित कर रहे हैं।
असल में मिर्जापुर के पीतल के बर्तनों का कोई सानी नहीं था। यहां का पीतल देश में सर्वश्रेष्ठ माना जाता था। मिर्जापुर के पीतल के बर्तनों की मांग सारे देश में थी। दीपावली के समय देश के विभिन्न राज्यों से व्यापारी महीनों पहले यहां खरीददारी के लिए आ जाते थे। पीतल उद्योग यहां का मुख्य व्यवसाय होता था। इसी वजह से कसरहट्टी मोहल्ले का नाम करण सोनबरसा पड़ गया था। इस उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोग जुड़े थे लेकिन आज स्थिति भिन्न है। एक ओर मिर्जापुरी बर्तनों की मांग में मंदी के चलते कारखाने बंद पड़े हैं वही मजदूर भी बेकारी की हालत में आ गए हैं।लाह चपड़ा के कारोबार की समाप्ति के बाद यहां का बर्तन उद्योग भी धीरे-धीरे गिरावट की ओर जा रहा था।
अब एक फिर आस जगी है। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद सरकार ने मिर्जापुर जिले के पीतल के बर्तनों को एक जिला एक उत्पाद ओडीओपी स्कीम लिया है। जिसके चलते इस उद्योग के लिए जीवन दान मिला है। अब इस उद्योग के एक बार फिर पुराने स्थिति में लौटने की उम्मीद है। मेंटल इंडस्ट्रीज के उत्थान के लिए वर्षों से लगे मोहन दास अग्रवाल उत्साहित हैं।वे बताते हैं कि सरकार का सहयोग मिल रहा है। सरकार ने यहां के बर्तनों को जी आई टैंग दिया है। इसे जेम पोर्टल पर लाया गया है । इससे इसे देश विदेश में पहचान मिली है । श्री अग्रवाल स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी श्रेय देते हैं। वे बताते हैं कि अब यहां भी परम्परागत बर्तनों जैसे हंडा, परात ,कलश ,थार , गगरा,कल्छूल और थाली आदि बर्तनों के साथ पीतल के फैन्सी आइटम बनने लगे हैं। जिनकी डिमांड भी है।
उन्होंने बताया कि सरकार ने नये उद्योग को मिलने वाली सारी सहूलियत मुहैया करा रही है। उद्योग के बढ़ोत्तरी के लिए आगे आ आयी है। लिहाजा अब धीरे-धीरे हम आगे बढ़ रहे हैं।अब दैनिक उपयोग में आने वाले बर्तनों का निर्माण शुरू हो गया है।इस बार पूजन में प्रयोग होने वाली थाली की एवं गिफ्ट आइटम की भारी डिमांड आई है।आन लाइन खरीद भी शुरू हो गई है।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित