बड़वानी, सितम्बर 24 -- मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के राजपुर अनुविभाग के लिम्बई क्षेत्र में दहशत का पर्याय बन चुकी मादा तेंदुआ कल रात पिंजरे में कैद कर ली गई। इसे पकड़ने में विफल रहने पर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से तीन हाथियों को बुलाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन हाथियों के आने से पहले ही तेंदुआ को पकड़ लिया गया। बड़वानी के वनमंडलाधिकारी (डीएफओ) आशीष बनसोड ने बताया कि तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरे को झाड़ियों से पूरी तरह ढककर उसकी नजर से छुपाया गया और जिस जानवर को तेंदुए ने मारा था उसके मांस के टुकड़े पिंजरे तक फैलाए गए। मादा तेंदुआ मांस की खुशबू सूंघते हुए पिंजरे में आ गई। अब उसके शावकों की तलाश की जा रही है। ऑपरेशन के दौरान खंडवा वृत्त की सीसीएफ भी मौजूद रही। तेंदुए को वन विहार भोपाल में छोड़ा जाएगा। डीएफओ ने बताया कि एक महीने के भीतर दो बच्चों की मौत और एक महिला पर हमले के बाद सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, इंदौर और उज्जैन रेस्क्यू टीम, डॉग स्क्वाड, फ्लाइंग स्क्वाड खंडवा, छह पिंजरे, तीन सीसीटीवी कैमरा, 100 से अधिक वन स्टाफ और तीन ड्रोन के माध्यम से लगातार सर्चिंग ऑपरेशन चलाया गया। मादा तेंदुआ अपने शावकों के साथ घूम रही थी, लेकिन पिंजरे में नहीं जा रही थी। डीएफओ ने बताया कि घने खेत होने के कारण तेंदुए के पास बिना जोखिम लिए जाना मुश्किल था। जेसीबी मशीन के केबिन से भी तेंदुए को ट्रेंकुलाइज करने की कोशिश की गई, लेकिन आवाज और रास्ते की कठिनाइयों के कारण तेंदुआ अदृश्य हो जाता था। इन परेशानियों के चलते सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से तीन हाथियों को बुलाया गया, जिनमें से एक हाथी पर ट्रेंकुलाइज टीम बिठाने की योजना थी, लेकिन हाथियों के आने से पहले ही तेंदुआ पिंजरे में आ गई। डीएफओ ने बताया कि तेंदुआ पिंजरे के आसपास मंडराते हुए शिकार को खा रहा था और भूखा होने पर हमला कर सकता था। क्षेत्र में तेंदुए के गिरफ्त में नहीं आने के कारण ग्रामीण तनाव में थे और असहज महसूस कर रहे थे।
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